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Cancer Medicine Scam: आरजीएचएस कैंसर दवा घोटाले में अब ED की एंट्री, मेडिपल्स हॉस्पिटल के डॉक्टर और मेडिकल स्टोर संचालक को नोटिस भेज मांगा जवाब

संभवत जोधपुर का यह पहला मामला होगा, जिसमें जांच के लिए यह 5वी एजेंसी जुड़ी है. सिंतबर 2023 में शुरू हुए इस घोटाले की जांच पहले बासनी पुलिस ने की. फिर साइबर क्राइम, एसओजी और एसीबी की टीमें जांच के लिए मैदान में उतरी. लेकिन अब ईडी ने मोर्चा संभालते हुए जांच शुरू कर दी है.

Cancer Medicine Scam: आरजीएचएस कैंसर दवा घोटाले में अब ED की एंट्री, मेडिपल्स हॉस्पिटल के डॉक्टर और मेडिकल स्टोर संचालक को नोटिस भेज मांगा जवाब
मेडी प्लस हॉस्पिटल, जोधपुर.

Rajasthan News: राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) के तहत कैंसर के इलाज (Cancer Treatment) के नाम पर दवाएं लिखने और उनका भुगतान उठाने के घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो गई है. ईडी ने बुधवार को जोधपुर के मेडिपल्स अस्पताल (Medipulse Hospital) में कार्यरत डॉक्टर विनय व्यास (Dr Vinay Vyas) और झंवर मेडिकल स्टोर (Jhanwar Medical Store) को नोटिस जारी कर इस मामले की जानकारी मांगी है. कुछ दिन पहले राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने भी इस मामले में डॉक्टर्स की भूमिका की गहन जांच करने के लिए SOG को आदेश दिए थे.

एक केस की जांच के लिए 5 एजेंसियां

संभवत जोधपुर का यह पहला मामला होगा, जिसमें जांच के लिए यह 5वी एजेंसी जुड़ी है. सिंतबर 2023 में शुरू हुए इस घोटाले की जांच पहले बासनी पुलिस ने की. फिर साइबर क्राइम, एसओजी और एसीबी की टीमें जांच के लिए मैदान में उतरी. लेकिन अब ईडी ने मेडिपल्स अस्पताल को वहां के कैंसर चिकित्सक और दवा विक्रेता झंवर मेडिकल व मुकदमा दर्ज करवाने वाले सरकारी अधिकारी को भी नोटिस देकर जांच शुरू कर दी है. सभी संबंधित पक्षों को बारी बारी से पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है. इधर, हाई कोर्ट पहले ही एसओजी को पूरे प्रकरण में डॉक्टर्स की भूमिका की जांच के लिए कह चुका है. मेडिपल्स के निदेशक शशिकांत सिंघी का कहना है कि पिछले दिनों ईडी ने जानकारी मांगी है, जिसे हमने तमाम दस्तावेजों के साथ जवाब दे दिया है. हम पहले भी सभी जांच एजेंसियों को सहयोग करते रहे हैं.

5 साल के लिए डी-बार हुआ हॉस्पिटल

मेडिपल्स की शिकायत के बाद सीजीएचएस योजना से पांच साल के लिए डी-बार किया जा चुका है. आरजीएचएस घोटाले के बाद सीजीएचएस योजना से मेडिपल्स अस्पताल को पांच साल से लिए डी-बार भी किया जा चुका है. इसका कारण है कि मरीजों को अस्पताल प्रशासन योजना के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दे रहा था. विभाग के पास 2022 से लगातार शिकायतें आ रही थीं कि वह मरीजों को मुफ्त इलाज न देकर उनसे रुपए ले रहा था. इसके लिए विभाग ने कई बार लिखित में भी नोटिस दिए, लेकिन कोई अस्पताल प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया. जिसके बाद पिछले शनिवार को सीजीएचएस योजना से अस्पताल को बाहर कर दिया.

45 लाभार्थियों के कार्ड किए गए ब्लॉक

आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक अभिषेक सिंह किलक ने 26 सितम्बर को बासनी थाने में आरजीएचएस कार्ड से करोड़ों की दवाइयों के घोटाले का मामला दर्ज कराया था. केस दर्ज करने के बाद झंवर मेडिकल संचालक जुगल झंवर को गिरफ्तार किया था. मामला सामने आने के बाद विभाग ने झंवर मेडिकल से जुड़े 45 लाभार्थियों के आरजीएचएस कार्ड ब्लॉक कर दिए थे. कार्ड धारकों में कई ऐसे हैं जिसमें बीमारी न होने के बावजूद भी परिजनों व दलाल के माध्यम से बिल लगातार उठाते रहे. साथ ही इस घोटाले में मेडिपल्स अस्पताल का नाम भी सामने आया था, वहां के कुछ डॉक्टरों से भी पूछताछ की गई थी। हालाकि मामला अभी जांच में है.

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