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तीन तलाक के खिलाफ एक महिला की जंग, 'रिवाज' में मायरा सरीन की दमदार एक्टिंग

Riwaj Review: मुस्लिम धर्म की महिलाओं को तीन तलाक से कितनी परेशानियों को सामना करना पड़ा होगा... इस पर हाल ही में एक फिल्म आई है. फिल्म का नाम है रिवाज. ओटीटी पर रिलीज हुई इस फिल्म में लीड एक्ट्रेस मायरी सरीन ने अपनी दमदार एक्टिंग से फैंस का दिल जीत लिया है.

तीन तलाक के खिलाफ एक महिला की जंग, 'रिवाज' में मायरा सरीन की दमदार एक्टिंग

Riwaj Review: तलाक, तलाक, तलाक... तीन बार तलाक बोलकर बीबी से नाता तोड़ देना. मुस्लिम समाज में तीन तलाक की इस व्यवस्था की पीड़ित महिलाओं के दर्द पर रिवाज नामक एक फिल्म आई है. इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, आफताब शिवदासानी और मायरा सरीन, अनिता राज,  जाकिर हुसैन, जया प्रदा जैसे कलाकारों ने काम किया है. रिवाज को ओटीटी पर रिलीज किया गया है. यह फिल्म तीन तलाक की उस परंपरा पर चोट करती है, जिस ना जाने कितनी महिलाएं झेल चुकी हैं. फिल्म में ज़ैनब शेख की भूमिका में मायरा सरीन लीड रोल में हैं. मायरा की दमदार एक्टिंग ने इस फिल्म को बेहद दिल के करीब बना दिया है. 

इससे पहले तीन तलाक के मुद्दे पर बॉलीवुड में राज बब्बर की फिल्म 'निकाह' सहित कई फिल्में आई हैं मगर इन दिनों ज़ी-5 पर रिलीज हुई फ़िल्म रिवाज की चर्चा हो रही है. रिवाज तीन तलाक के विरुद्ध एक महिला की लड़ाई दर्शाती यह फ़िल्म हार्ड हिटिंग है. प्रोडूसर कशिश ख़ान ने एक अच्छी फ़िल्म बनाकर इंडस्ट्री में अपनी जगह बना ली है. कई मीडिया रिपोर्ट में इस फिल्म को 3 से 3.5 तक की रेटिंग दी गई है. 

तीन तलाक के खिलाफ एक महिला की लड़ाई 

फ़िल्म रिवाज एक दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाली महिला ज़ैनब शेख की स्टोरी बयान करती है, जो तीन तलाक़ के पुराने कानून के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करती है. ज़ैनब शेख का किरदार मायरा सरीन ने निभाया है बल्कि जिया है. मायरा ने जिस ईमानदारी के साथ अदाकारी की है वह देखने लायक है. 

कई मंझे हुए कलाकारों के साथ उन्होंने अपनी कुशल अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया है और फ़िल्म के मुख्य पात्र को स्क्रीन पर असरदार ढंग से पेश किया है. उनकी संवाद अदायगी हो, या चेहरे का एक्सप्रेशन, भावनाओं को प्रकट करना हो या कोई दिल को चुभने वाला डायलॉग बोलना हो, मायरा माहिर नज़र आई हैं.

"इनका जब मन होगा तलाक दे देंगे, जब मन होगा माफी मांगकर निकाह की बात कर लेंगे." ज़ैनब का यह संवाद औरत के दर्द को बयां करता है. फिर वह आगे कहती है "मैं कसम खाती हूँ, तेरे जैसे लोगों का गुरुर तोड़ूंगी." "तलाक औरत दे या मर्द दे, नुकसान तो परिवार का ही होता है." इस तरह के संवाद के जरिये फ़िल्म में कई सन्देश भी दिए गए हैं.

यह लड़ाई मेरे अकेले की नहीं जैसे दमदार संवाद

"यह लड़ाई मेरे अकेले की नहीं है." जब फ़िल्म में ज़ैनब यह डायलॉग बोलती है तो लगता है कि वह पूरे समाज का प्रतिनिधित्व कर रही है और अन्याय के खिलाफ  लड़ाई लड़ रही है. एक वकील के रूप में मिथुन चक्रवर्ती की भूमिका महत्वपूर्ण है. वहीं वकील के रोल में ज़ाकिर खान का यह संवाद "तीन तलाक कानून खत्म करने से देश का मुसलमान खुश नहीं होगा." बहस को जन्म देता है जिसपर मिथुन चक्रवर्ती कहते हैं कि अल्लाह को तलाक पसन्द नहीं है." 

महिलाओं के सम्मान और हक की बात

ज़ैनब शेख के किरदार को मायरा सरीन ने नेचुरल तरीके से निभाया है. इस प्रोजेक्ट के साथ, मायरा ने अपनी सशक्त पहचान स्थापित कर दी है. रिवाज की कहानी और जैनब जैसे किरदारों ने समाज में बदलाव की लहर पैदा की, जिससे प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रिपल तलाक कानून लागू किया, जिससे महिलाओं को सम्मान और अधिकार मिले. फ़िल्म का निर्देशन बहुत बढ़िया है. फिल्म में "तू मेरा नाम है " जैसे मधुर गीत भी हैं. इस हार्ड हिटिंग और संवेदनशील मुद्दे पर बनी फिल्म रिवाज आप ज़ी-5 पर देख सकते हैं.

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