
Rajasthan News: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने आरएएस भर्ती के इंटरव्यू लेवल में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों के खेल का पर्दाफाश करना शुरू कर दिया है. आयोग की सख्ती के बाद उन अभ्यर्थियों में हड़कंप मच गया है, जिन्होंने गलत तरीके से दिव्यांग कोटे का लाभ उठाने की कोशिश की थी. फर्जीवाड़े को रोकने के लिए आयोग ने पहली बार मेडिकल जांच को अनिवार्य किया है, जिसने कई शातिर अभ्यर्थियों की नींद उड़ा दी है.
श्रेणी बदलने की गुहार
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों का इस्तेमाल करने वाले कई अभ्यर्थी पहले से ही सरकारी नौकरी में हैं. इनमें से कुछ तृतीय श्रेणी शिक्षक और पटवारी जैसे पदों पर कार्यरत हैं. जब आयोग की तरफ से सख्त मेडिकल जांच का फरमान जारी हुआ, तो कुछ अभ्यर्थियों ने अपनी दिव्यांग श्रेणी बदलने के लिए आवेदन तक कर दिए. यह एक तरह से उनके द्वारा अपने फर्जीवाड़े को स्वीकार करने जैसा था. RPSC ने अब इन पुराने और मौजूदा सरकारी कर्मचारियों के विभागों को भी पत्र लिखकर उनकी दिव्यांगता की फिर से जांच कराने के निर्देश दिए हैं.
जांच नहीं तो फिर...
आरपीएससी अध्यक्ष उत्कल रंजन साहू ने साफ कर दिया है कि यह कदम भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को मजबूत करेगा. उनका कहना है कि फर्जी प्रमाण-पत्रों के कारण असली दिव्यांग अभ्यर्थियों के हक मारे जा रहे थे. अब सिर्फ दस्तावेजों की सतही जांच नहीं होगी, बल्कि हर दावे का गहन सत्यापन किया जाएगा. जिन अभ्यर्थियों को मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होने के लिए कहा गया था, उनमें से कई तो आए ही नहीं. आयोग का कहना है कि जो भी अभ्यर्थी मेडिकल जांच से बचेगा या जिसके दस्तावेज संदिग्ध पाए जाएंगे, उनकी अभ्यर्थिता तुरंत रद्द कर दी जाएगी. साथ ही, ऐसे अभ्यर्थियों को भविष्य में किसी भी भर्ती परीक्षा से वंचित भी किया जा सकता है.
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