
Rajasthan News: उदयपुर के सज्जनगढ़ अभयारण्य में मंगलवार शाम को 6 बजे लगी आग शुक्रवार तक भी काबू में नहीं आई है. अब यह आग बढ़ते-बढ़ते शुक्रवार सुबह तक उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क के नजदीक पहुंच गई है. इसे देखते हुए वन विभाग और फायर डिपार्टमेंट की टीम बायोलॉजिकल पार्क में पहुंचकर सुबह से ही आग पर काबू पाने का प्रयास कर रही है.
फायर डिपार्टमेंट की तरफ से बायोलॉजिकल पार्क के नजदीक आती आग को पानी की बौछार कर काबू किया जा रहा है. वहीं वन विभाग की तरफ से बीटिंग तकनीक के आधार पर आग पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है. हालांकि अब तक आग काबू में नहीं आई है.
जानकारी के अनुसार, उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क में वर्ष 2024 में भी आग लगी थी, जिसमें 200 हैक्टेयर एरिया जलकर खाक हो गया था. यही नहीं वर्ष 2022 में तो जोधपुर से आर्मी का हेलीकॉप्टर बुलाया गया था.

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5 वर्ग किलोमीटर में फैला है पार्क
बायोलॉजिकल पार्क की बात करे तो यह करीब 5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें लॉयन, लेपर्ड, टाइगर सहित 100 से ज्यादा वन्यजीव है. यह शहर से बिल्कुल करीब है. अभी आग ऊंचाई पर पहाड़ी एरिया में लगी है.
वन विभाग के पास नहीं उपकरण
जंगल में लगी आग को काबू पाने के लिए वन विभाग के पास सिर्फ बीटिंग तकनीक से बुझाने वाले उपकरण हैं, जिसमें झाड़ू से भी बुझाया जा रहा है.

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अभी की स्थिति
अभी वन विभाग और फायर विभाग की तरफ से आग पर काबू पाने के लिए जंगल में उतरा जा रहा है. कटर के माध्यम से लेंटाना झाड़ियों को काटकर फायर लाइन बनाई जाएगी, ताकि आग पार्क की तरफ ना बढ़े.
कैसे लगी आग
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह आग एक ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई. बताया जा रहा है कि गोरेला रोड के पास जंगली इलाके में एक ट्रांसफॉर्मर लगा है, जिस पर बंदर के कूदने से शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे वहां सूखी लकड़ियों में आग लग गई. तेज हवाओं और सूखी लकड़ी की वजह से आग फैलने लगी.

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आग की लपटों के बाद सेंचुरी से ऊपर धुआं उठने लगा. इसके बाद वन विभाग के स्टाफ को आग की सूचना मिली. उन्होंने फायर ब्रिगेड से संपर्क किया, जिसके बाद दमकलों को गोरेला रोड भेजा गया. लेकिन ऊंचाई वाला इलाका होने के कारण दमकल का उपयोग नहीं हो सका.
हालांकि बुधवार (5 मार्च) शाम पहले दावा किया गया कि आग को नियंत्रित कर लिया गया है. लेकिन इसके बाद ही बहुत तेज़ हवा चलने लगी, जिससे आग ने विकराल रूप ले लिया, जिससे उसे रोकना और बड़ी चुनौती बन गया.
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