वागड़ में पहले श्रावण सोमवार शिवायलों में उमड़ी भक्तों की भीड़
गुजराती मान्यता के अनुसार डूंगरपुर, बांसवाड़ा और गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में कल यानि रविवार को हरियाली अमावस्या से श्रावण मास की शुरुआत मानी जाती हैं. इसके बाद आज सोमवार को यहां श्रावण का पहला सोमवार माना जाता है. श्रावण सोमवार होने के कारण शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. शहर के नया महादेव मंदिर, धनेश्वर शिवालय सहित अन्य शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में पंडित हरिप्रसाद दवे के सान्निध्य में मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया. भगवान शिव को बिल्व पत्र और पुष्प अर्पित किए गए. साथ ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हुए मनोकामनाएं की गई.
सावन का तीसरा सोमवार वागंड में क्यों माना जाता है पहला सोमवार
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हिंदी मास की गणना शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की तिथियों के एक चक्र पूर्ण होने की अवधि से चंद्रमा की घटती-बढ़ती कलाओं और उसके पूर्ण होने के आधार पर की जाती है. ये तिथियां सभी जगह मान्य होती हैं. लेकिन वागड़ क्षेत्र में हिंदी वर्ष का एक माह 15 दिन बाद से शुरू होता है. यही कारण है कि अन्य स्थानों पर हिंदी माह की गणना पूर्णिमा से पूर्णिमा तक होती है,जबकि वागड़ क्षेत्र में अमावस्या से अमावस्या तक होती है. इस अंतर का यही कारण है. इसके अलावा वागड़ क्षेत्र में सावन माह 15 दिन बाद से शुरू होने के पीछे एक मुख्य कारण सूर्य की चाल और कर्क रेखा का यहां से गुजरना है. शहर के पंडितों और ज्योतिष के अनुसार गुरु पूर्णिमा तिथि से सूर्य कर्क रेखा में प्रवेश करता है. इस तिथि से सभी जगह आषाढ़ माह विदा हो जाता है और सावन शुरू हो जाता है, लेकिन वागड़ में इस तिथि के बाद आने वाली पहली अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या को ही सावन की शुरुआत माना जाता है.