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Rajasthan: वैज्ञान‍िकों ने गिद्धों में ट्रांसमीटर फिट करके छोड़ा, बड़ी वजह आई सामने

राजस्थान वन विभाग की सहायता से इन शिकारी पक्षियों पर अध्ययन के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका नाम "रेप्टर इकोलॉजी इन द थार डेजर्ट" रखा गया है.

Rajasthan: वैज्ञान‍िकों ने गिद्धों में ट्रांसमीटर फिट करके छोड़ा, बड़ी वजह आई सामने
पक्षियों पर रिसर्च के लिए ट्रांसमीटर लगाकर छोड़ा.

Rajasthan: वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Wildlife Institute of India) और राजस्थान वन विभाग ने संयुक्त रूप से थार के रैप्टर इकोलॉजी (शिकारी पक्षियों का परिस्थितिकी तंत्र) पर एक प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य थार क्षेत्र में पाए जाने वाले शिकारी पक्षियों जैसे चील, बाज़ और मृत पशुओं को खाने वाले गिद्धों (स्कैवेंजर वल्चर) की पारिस्थितिकी को समझना है. इस शोध के तहत पहली बार थार क्षेत्र में रैप्टर प्रजातियों पर जीपीएस ट्रांसमीटर आधारित टेलीमेट्री अध्ययन शुरू किया गया है. इसके लिए छह प्रमुख प्रजातियों को चुना गया है, जिसमें रेड हेडेड वल्चर, व्हाइट रंप्ड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, इंडियन वल्चर, टॉनी ईगल और लग्गर फाल्कन भी शामिल है.

पक्षियों में ट्रांसमीटर लगाने की अनुमति

इन सभी पक्षियों में ट्रांसमीटर लगाने की अनुमति मिल चुकी है. इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने  सोशल मीड‍िया 'X' हैंडल पर एक वीडियो भी साझा किया है.

जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क रैप्टर पक्षियों के लिए देश का बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां इनकी संख्या देश के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत अधिक है. यह अध्ययन इन प्रजातियों की आवाजाही, निवास स्थान, प्रजनन व्यवहार और खतरों को समझने में मदद करेगा.

वैज्ञानिक ईगल और गिद्धों पर रिसर्च करने के लिए ट्रांसमीटर लगाकर छोड़ा.

वैज्ञानिकों ने ईगल और गिद्धों पर रिसर्च करने के लिए ट्रांसमीटर लगाकर छोड़ा.

शोध टीम घोसलों की निगरानी कर रही

टेलीमेट्री के साथ-साथ शोध टीम घोसलों की निगरानी कर रही है, और क्षेत्र में इन पक्षियों को होने वाले खतरों की पहचान भी कर रही है. इससे संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने में सहायता मिलेगी. यह अध्ययन भारत में गिद्धों और अन्य रैप्टर प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों को नया आयाम देगा. इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में भी खासा उत्साह है.

जैसलमेर में  गिद्धों की 8 प्रजातियां

वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के वरुण खेर बताते हैं कि राजस्थान के जैसलमेर में स्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान गिद्ध और अन्य शिकारी पक्षियों के लिए काफी खास है. यहां भारत में पाए जाने वाले 9 गिद्धों की प्रजाति में 8 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसी पर नजर रखते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने राजस्थान वन विभाग की सहायता से इन शिकारी पक्षियों पर अध्ययन के लिए एक प्रोजेक्ट शुरु किया है. जिसका नाम "रेप्टर इकोलॉजी इन द थार डेजर्ट" रखा गया है.

पक्षियों की लोकेशन मिलती रहेगी 

इसी प्रोजेक्ट के तहत पिछले सप्ताह एक इजिप्शियन वल्चर और एक टॉनी ईगल को जीपीएस ट्रांसमीटर लगाए गए हैं. जीपीएस ट्रांसमीटर की मदद से इन दोनों पक्षियों की लोकेशन रिसर्च टीम को मिलती रहेगी, जिससे ग्राउंड पर मॉनिटरिंग करने नें मदद होगी. दोनों पक्षी अभी स्वस्थ हैं और डेजर्ट नेशनल पार्क में विचरण कर रहे हैं.

पक्षियों पर शोध में मिलेगी मदद 

वन्यजीव प्रेमी प्रोफेसर श्याम सुंदर मीणा बताते हैं कि जीपीएस सिस्टम लगाकर शिकारी पक्षियों पर शोध करना अपने आप में एक उपलब्धि रहेगी. जीपीएस से यह पता लगा पाएगा कि यह गिद्ध किस मौसम में कहां आते-जाते हैं, उनकी दिनचर्या क्या है, क्या खाते हैं. साथ ही इससे शिकारी गिद्धों के संदर्भ में डाटा एकत्रित हो पाएगा जिससे गिद्ध संरक्षण में एक बड़ी मदद मिलेगी.

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