Daijar cave: राजस्थान के जोधपुर में दईजर की पहाड़ियों में आज भी ऐसी रहस्यमय प्राचीन गुफा है. जो अपने आप में कई राज को समेटे है. इन गुफाओं के अंतिम छोर का आजतक कोई पता नहीं लगा पाया है, जो भी इस रहस्य को जानने के लिए गुफाओं में गया. वह शायद ही कभी वापस जीवित लौट कर आया. कहा जाता है कि रावण जब मंदोदरी से शादी करने लंका से मंडोर आया था. तो रावण की गुप्त सेना भी इसी रास्ते से मंडोर पहुंची थी. इसके कारण इसे रावण की बारात का मार्ग भी कहते हैं. इस गुफा का अंतिम छोर आज भी किसी को नहीं पता और कहा जाता है कि पाताललोक जाने का रास्ता भी इसी गुफा से है.
गुफा के पास बना है प्राचीन मंदिर
जोधपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दईजर की पहाड़ियों में बनी इन गुफाओं के रहस्य से आज भी पर्दा नहीं उठ पाया है. दईजर की इन गुफाओं के पास ही बना प्राचीन मंदिर (Daijar Mata Mandir) जोधपुरवासियों के लिए एक बड़ा आस्था का केन्द्र है. इन गुफाओं के ऊपर पहाड़ी क्षेत्र में प्रकट चामुण्ड़ा माता का मंदिर है. बताया जाता है कि दादा गुरू सेवाराम दशकों पूर्व बेरीगंगा में पूजा-अर्चना के लिए आए थे और उन्होंने इस स्थान की खोज की और तब से लेकर आज तक यहां श्रद्धालु आते रहते हैं. इस मंदिर के पास ही एक प्राचीन कुंड भी है, जहां इन प्राचीन ऐतिहासिक गुफाओं से आने वाला पानी एकत्रित होता है.
आम लोगों के लिए गुफा में प्रवेश बंद
अभी मंदिर पुजारी की चौथी पीढ़ी इन रहस्यमय गुफाओं के साथ ही यहां बने प्राचीन चामुंडा माता मंदिर की पूजा अर्चना करते हैं. आम लोगों के लिए रहस्यमयी गुफाओं में प्रवेश बंद कर दिया है. एनडीटीवी की टीम मंडोर के पास दईजर की इन पहाड़ियों में बनी रहस्यमयी गुफाओं में जाकर रहस्यों को जानने की कोशिश की तो मंदिर पुजारी ने परिवार के एक सदस्य के साथ चलने की शर्त पर गुफा के चाबी सौपी. एनडीटीवी ने इन प्राचीन गुफाओं में 1 किलो मीटर भीतर उस अंतिम छोर तक पहुँचा. जहां उसके आगे आज तक कोई व्यक्ति नहीं पहुंचा. इस गुफा में जितना आगे जाते हैं, गुफा उतनी संकरी होती जाती है.
पाताल लोक की ओर जाता गुफा का रास्ता!
इन गुफाओं में जाने में ऑक्सीजन की कमी के चलते सांस लेने में भी दिक्कत होती है. इस गुफा को लेकर कहा ये भी जाता है कि गुफाओं का भूलभुलैया का रास्ता सीधा पाताल लोक की ओर जाता है. दईजर की इन रहस्यमय गुफाओं में प्रवेश करने पर सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा है. जहां श्रद्धालु दर्शन करते हैं. उसके कुछ ही दूरी पर मां जगदंबा का मंदिर है. जहां पर आज भी मंदिर परिवार की ओर से नियमित पूजा अर्चना भी होती है. आम लोगों के लिए गुफा में प्रवेश को सुरक्षा कारणों के लिहाज से बंद कर दिया है. जहां हर 4 साल में होने वाले अधिक मास के महीने में यहां जोधपुर की पहाड़ियों पर बने धार्मिक स्थलों की पैदल भोगीशेल परिक्रमा होती है.
यह भी पढ़ें- यहां छिपा है 100 साल पुराने दुर्लभ ऐतिहासिक बर्तनों का खजाना, विदेशी बाजारों में है हजारों-लाखों की कीमत