
khatushyamji Sikar: राजस्थान में सीकर के रींगस स्थित खाटूश्याम में बाबा के विशेष श्रृंगार की खूब चर्चा हो रही है. खाटू नरेश का यह विशेष श्रृंगार पूरे साल में पहली बार शरद पूर्णिमा के दिन किया जाता है. सोमवार को शरद पूर्णिमा के अवसर पर बाबा श्याम का सफेद फूलों से श्रृंगार किया गया. उनका श्रृंगार इतना मनमोहक था कि उनकी एक झलक पाते ही भक्तों की निगाहें उनके अनूठे सौंदर्य पर टिक गईं.
चांदनी रात में बाबा श्याम का सफेद फूलों से हुआ विशेष श्रृंगार
चांदनी रात में बाबा का विशेष श्रृंगार सफेद और सुगंधित फूलों से किया गया, जिससे उनका रूप बेहद मनमोहक लग रहा था. इस विशेष साज-सज्जा ने मंदिर परिसर में एक अद्भुत वातावरण बना दिया. भक्तों का कहना है कि बाबा श्याम का ऐसा दिव्य रूप पूरे साल में एक बार ही देखने को मिलता है, जिसे देखकर वे भाव-विभोर हो गए.
दूधिया रोशनी दर्शनों के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
उनके इस रुप के लिए गुलाब, जरबेरा और रजनीगंधा जैसे सफेद फूलों को शामिल किया गया. इनके बने गजरे और हार पहनाकर बाबा को सजाया गया. बाबा को श्वेत बागा (पोशाक) और सफेद आभूषण पहनाए गए, जिससे उनकी शोभा और भी बढ़ गई. श्वेत श्रृंगार और दूधिया रोशनी के वातावरण में बाबा के दर्शनों के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड पड़ी.
रात 12 बजे लगेगा खीर का विशेष भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृत बरसाती हैं. इसी विशेष और पवित्र रात्रि को, ठीक रात 12 बजे बाबा श्याम को खीर का विशेष भोग लगाया जाएगा। यह खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है, जिसे बाद में भक्तजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. भक्तों का मानना है कि इस खीर को ग्रहण करने से आरोग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
कौन हैं बाबा खाटूश्याम?
बाबा खाटूश्याम को कलियुग के देवता और श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है. वह महाभारत काल से संबंधित हैं, जहां वह भीम के पौत्र और घटोत्कच तथा मोरवी के पुत्र थे. उनका असली नाम बर्बरीक था, जो एक सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, जिनके पास तीन अमोघ बाण थे. उनकी प्रतिज्ञा कमजोर पक्ष का साथ देने की थी.
जब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण कर उनसे उनका शीश दान में मांगा, तो उन्होंने खुशी से दे दिया. उनके इस महान बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि वह कलियुग में उनके नाम पर 'श्याम' कहलाएंगे और 'हारे का सहारा' बनेंगे. उनका शीश खाटू नामक स्थान पर रखा गया, जहां राजस्थान के सीकर जिले में उनका प्रसिद्ध मंदिर स्थित है.
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