Rajasthan SI Paper leak: राजस्थान में SI भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के मामलों की जांच कर रही स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने कहा है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का परीक्षाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है. SOG ने अपनी जांच रिपोर्ट राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को पिछले वर्ष अगस्त महीने में भेजी थी. NDTV ने यह रिपोर्ट हासिल की है. इसमें इन परीक्षाओं में कई तरह की अनियमितताएं होने के आरोप लगाए गए हैं और RPSC के परीक्षा आयोजन कराने के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं. SOG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि SI भर्ती परीक्षा अपर्याप्त इंतजाम के साथ करवाई गई और परीक्षाओं पर RPSC का कोई नियंत्रण नहीं था. उसने कहा है कि इसी वजह से परीक्षा में अनियमितताएं हुईं. SOG ने अपनी रिपोर्ट में इस परीक्षा को रद्द करने की भी सिफ़ारिश की थी. SOG की जांच रिपोर्ट में उठाए गए कुछ प्रमुख सवाल -
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3 दिन में परीक्षा का आयोजन क्यों
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परीक्षा 3 दिनों में आयोजित की गई जबकि यह परीक्षा पहले एक दिन में आयोजित की जानी थी. साथ ही कहा गया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा एक दूसरी परीक्षा है जिसमें SI भर्ती परीक्षा से तीन गुना ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे, लेकिन वह परीक्षा एक दिन में आयोजित करवाई गई थी. शिक्षक पात्रता परीक्षा में 25 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे जो एक दिन में हुई थी. लेकिन SI परीक्षा में 7 लाख 97 हजार अभ्यर्थियों के लिए 3 दिनों में परीक्षा कराने का फैसला किया गया.
13 तारीख की हुई परीक्षा के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय
SOG ने रिपोर्ट में कहा है कि 13 सितंबर को परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है. उसने कहा है कि 13, 14, 15 सितंबर 2021 को तीन दिनों के अंदर परीक्षाओं के आयोजन में नॉर्मलाइज़ेशन की प्रक्रिया भी संदिग्ध है. लेकिन RPSC ने गोपनीयता का हवाला देते हुए इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया. जबकि 13 तारीख को हुई परीक्षा के अंक घटाए गए थे, 14 तारीख की परीक्षा के अंक 8 से 10 अंक बढ़ाए गए और 15 तारीख को हुई परीक्षा के अंक 10 से 15 अंक बढ़े हैं जिससे नॉर्मलाइजेशन का पैमाना स्पष्ट नहीं होता है और सवाल खड़े होते हैं.
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इसके अलावा तीनों दिनों में लगभग समान संख्या में अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. लेकिन 13 तारीख की परीक्षा में बैठे सिर्फ़ 19 प्रतिशत अभ्यर्थियों का चयन हुआ.14 तारीख को परीक्षा देने वाले 28 प्रतिशत अभ्यर्थियों का चयन हुआ. वहीं 15 तारीख को जिन अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी उनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा का चयन हुआ. इसे लेकर भी सवाल उठाए गए हैं.
धुंधली तस्वीरें, वीडियोग्राफी पर सवाल
SOG ने यह भी सवाल उठाया है कि अभ्यर्थियों के आवेदनों पर तस्वीरें धुंधली क्यों हैं, जबकि RPSC को परीक्षार्थियों से आवेदन के ज़रिए इतनी बड़ी रकम मिलती है. इसमें आरोप लगाया गया है कि दो आवेदकों की तस्वीरों को मिलाकर धुंधली कर उन्हें अपलोड किया जाता है ताकि अभ्यर्थी को ठीक से पहचाना नहीं जा सके और डमी कैंडिडेट बिठा कर परीक्षा करवाई जा सके.
यह भी सवाल उठाया गया है कि इन परीक्षाओं में वीडियोग्राफ़ी अनिवार्य होता है लेकिन इसकी पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई. इसके अलावा RPSC ने कई सेंटरों की वीडियोग्राफ़ी के दस्तावेज़ों को बार-बार मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराया. SOG ने आरोप लगाया है कि आयोग ने सीसीटीवी, बायोमेट्रिक और जैमर लगाने का काम ठीक से नहीं किया, और इसलिए ब्लूटूथ से परीक्षा में चोरी हो पाई.
निजी स्कूलों में करवाई गईं परीक्षाएं
एसओजी ने रिपोर्ट में लिखा है कि यह परीक्षा निजी स्कूलों में भी आयोजित करवाई गई जबकि इसका आयोजन सरकारी संस्थानों और स्कूलों में होना था. उसने कहा है कि इस परीक्षा के पेपर निजी स्कूलों से पहले ही लीक हो गए थे. कई जगहों पर परीक्षा केंद्र बदल दिए गए और प्राइवेट स्कूलों में परीक्षाएं करवाई गईं.
पहले से सवालों के घेरे में RPSC
उल्लेखनीय है कि SOG की रिपोर्ट में RPSC की भूमिका को लेकर सवालों की जानकारी ऐसे समय आई है जब इस परीक्षा के आयोजन को लेकर RPSC के सदस्यों की भूमिका पर पहले भी सवाल उठे हैं. RPSC के दो सदस्य अभी जेल में हैं और कई अन्य सदस्यों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.
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