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पहली मंजिल पर बना था कलेक्टर ऑफिस, मांग लेकर पहुंचे 14 दिव्यांग; DM ने खुद नीचे आकर लिया ज्ञापन 

राजस्थान के सीकर में 14 दिव्यांग ट्राइसाइकिल पर कलेक्ट्रेट पहुंचे और मेडिकल सर्टिफिकेट में गड़बड़ियों को सुधारने की मांग की. कलेक्टर मुकुल शर्मा खुद नीचे आए, ज्ञापन लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया.

पहली मंजिल पर बना था कलेक्टर ऑफिस, मांग लेकर पहुंचे 14 दिव्यांग; DM ने खुद नीचे आकर लिया ज्ञापन 
सीकर में 14 दिव्यांग ट्राइसाइकिल पर कलेक्ट्रेट पहुंचे.

Rajasthan News: राजस्थान के सीकर जिले में बुधवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला. जहां करीब 14 दिव्यांग अपनी ट्राइसाइकिलों पर सवार होकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंच गए. वे मेडिकल सर्टिफिकेट में हो रही गड़बड़ियों को सुधारने की मांग कर रहे थे. समस्या यह थी कि जिला कलेक्टर का ऑफिस पहली मंजिल पर है.

वहां तक पहुंचना इन दिव्यांगों के लिए बेहद मुश्किल था. जैसे ही कलेक्टर मुकुल शर्मा को इसकी खबर लगी वे फौरन नीचे आए. उन्होंने दिव्यांगों से ज्ञापन लिया और जल्द कार्रवाई का वादा किया. यह घटना सभी के लिए प्रेरणादायक रही क्योंकि कलेक्टर ने खुद चलकर उनकी आवाज सुनी.

डॉक्टरों पर सांठगांठ का इल्जाम

दिव्यांगों के नेता डॉ. अब्बास खान ने बताया कि जिले में जारी हो रहे डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट किसी तय नियम से नहीं बनाए जा रहे. कई लोग डॉक्टरों से मिलीभगत करके फर्जी सर्टिफिकेट ले लेते हैं. इससे असली दिव्यांग सरकारी योजनाओं और बुनियादी मदद से वंचित रह जाते हैं.

सरकार को भी सही कैटेगरी तय करने में दिक्कत आती है. यहां तक कि जिन्हें दोनों पैरों से चलना फिरना मुश्किल है उन्हें भी 80 प्रतिशत डिसएबिलिटी नहीं दी जा रही. यह अन्यायपूर्ण है और इससे दिव्यांगों का जीवन और कठिन हो जाता है.

सभी सर्टिफिकेट की जांच की मांग

दिव्यांगों ने कलेक्टर से अपील की कि सीकर में अब तक जारी सभी दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच हो. उन्होंने तीन डॉक्टरों वाले मेडिकल बोर्ड की भी जांच मांगी. उनका कहना है कि बोर्ड एक ही टेबल पर बैठकर काम करें ताकि सर्टिफिकेट में कोई फर्क न पड़े. एक ही तरह की शारीरिक समस्या वाले लोगों को अलग अलग कैटेगरी देना गलत है. इससे पारदर्शिता खत्म हो जाती है.

उन्होंने एसके हॉस्पिटल से जारी सभी प्रमाण पत्रों की जांच कराने की भी मांग की. साथ ही एक स्थायी मेडिकल बोर्ड बनाने का सुझाव दिया जिससे प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और एक समान हो सके. यह कदम न केवल दिव्यांगों को न्याय देगा बल्कि सरकारी योजनाओं को सही दिशा भी प्रदान करेगा.

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