Snake Bite: डूंगरपुर जिला अस्पताल में सांप काटने के 12 घंटे बाद एक महिला पहुंची. देर से पहुंचने पर उसकी मौत हो गई. साबला थाना क्षेत्र के बकराइया फला में कजोडी बरोड़ मीणा को सांप ने डस लिया. परिजन पहले भोपे के पास पहुंचे. झाड़-फूंक कराने लगे. जब ठीक नहीं हुई तो अस्पताल लेकर पहुंचे.
अस्पताल जाने से पहले भोपा से कराते हैं झाड़-फूंक
डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फिजिशियन डॉ. कांतिलाल मेघवाल और डॉ. राकेश मीणा ने बताया कि कजोडी की तरह ही सर्पदंश से अस्पताल में आने वाले 50% से ज्यादा मरीज पहले भोपे के पास जाते हैं. जब भोपा की झाड़-फूंक से मरीज को आराम नहीं मिलता है, तब वे अस्पताल आते हैं. ऐसे में कई बार मरीज देरी से अस्पताल आता है. देरी की वजह से उसकी मौत हो जाती है.
युवक के गर्दन पर सांप ने डसा, डॉक्टर ने बचाया
फिजिशियन डॉ कांतिलाल मेघवाल ने बताया कि 13 जुलाई को करौली के जयेश पुत्र कचरुलाल पटेल के गर्दन पर सांप ने डस लिया. परिजन उसे सीधे अस्पताल लेकर आए. वह बेहोशी की हालत में था. युवक को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. जहर फैलने से पूरा शरीर पैरालाइसिस हो गया था. उसके साथ ही डॉ. आजेश डामोर, डॉ. अजीत मीणा और डॉ. संदेश जैन ने मरीज को अटेंड किया.
फर्स पर सोया था युवक, सांप ने डसा
ICU में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया. 8 दिन तक इलाज के बाद अब मरीज ठीक है. मरीज के परिजन से केस हिस्ट्री पूछी तो बताया कि जयेश के पिता की 12 जुलाई को मौत हो गई थी. पिता की मौत पर फर्श पर सोने की रस्म के चलते वह नीचे सोया था. उसी समय उसे गर्दन में सांप ने डस लिया. समय पर अस्पताल लेकर आने से जयेश की जान को डॉक्टरों ने बचा लिया.
जहरीला सांप के डसने पर भी 2 से 3 घंटे तक बचने का रहता है चांस
डॉक्टर ने बताया की सांप के डसने पर हमारे यहां मान्यता है कि देवताऊ सांप है. ऐसे में लोग इलाज से पहले भोपे के पास जाकर झाड़-फूंक में अपना समय बिता देते हैं. कई बार सांप जहरीला नहीं होने पर मरीज ठीक हो जाता है. ऐसे में लोगों में भ्रम हो जाता है कि वह झाड़-फूंक से ठीक हुआ. लेकिन, सांप जहरीला होने पर 2 से 3 घंटे का समय मरीज के लिए गोल्डन पीरियड होता है. उस समय मरीज को समय पर अस्पताल लेकर आने से उसकी जान बचाई जा सकती है.