सोहेला गोली कांड में 20 साल बाद फैसला आया. कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. टोंक जिले के सोहेला गांव में नेशनल हाईवे पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. पुलिस की गोलीबारी में गर्भवती महिला सहित 6 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने 32 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 20 साल तक केस चलने के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
पुलिस और किसानों में हुई थी झड़प
टोंक जिले के सोहेला गांव में बीसलपुर बांध के पानी को टोरडी सागर बांध में डाले जाने की मांग को लेकर हजारों किसान और किसान नेता इकट्ठा हुए. 13 जून 2005 को राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-12) सोहेला चौराहा जाम कर दिया था. इसकी सूचना पर प्रशासनिक अधिकारी भारी फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए. प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझा बुझाकर जाम खोलने के लिए कह रहे थे.
भीड़ ने किसानों पर किया था पथराव
इसी दौरान गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. शाम को किसानों और पुलिस के बीच फायरिंग शुरू हो गई, जिसमें एक महिला सहित 6 लोगों की मौत हो गई थी. कई लोग घायल हुए थे. घटना के बाद तत्कालीन बरोनी थाना प्रभारी उज्ज्वल शर्मा ने कुल 32 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. मामले की जांच तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और सीआईडी सीबी जयपुर रमेश चंद्र शर्मा ने की.
चार लोग हुए थे गिरफ्तार
न्यायिक प्रक्रिया के दौरान आरोपी मदनलाल पुत्र छोटेलाल मीणा निवासी नानेर और रामकिशन पुत्र चौथमल चौधरी निवासी इस्लामपुरा की मौत हो गई थी. घटना के समय पुलिस ने 4 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें जाकिर हुसैन पुत्र मोहम्मद यूसुफ निवासी अजीजपुरा, हंसराज पुत्र धन्नालाल निवासी झिराना, नंदलाल गोरा पुत्र लक्ष्मीनारायण जाट निवासी बड़ा मोजा सहित और अन्य व्यक्ति शामिल था.
बाकी 28 आरोपितों को अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई थी. न्यायालय ने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे सिद्ध करने में असमर्थ रहा. इसलिए सभी जीवित आरोपियों को दोषमुक्त किया जाता है.
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