
Surya grahan: रविवार (21 सितंबर) को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा. यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा. मध्यकाल रात 1 बजकर 11 मिनट पर आएगा और समाप्ति सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगी. हालांकि, यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी, क्योंकि उस समय भारत में रात होगी. यह ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और कुछ प्रशांत द्वीपों में दिखाई देगा. हालांकि भारत में कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो ग्रहण काल में भी खुले रहते हैं. इनमें राजस्थान के मंदिर भी शामिल हैं, इनसे जुड़ी मान्यताएं इन्हें विशेष बनाती हैं. बीकानेर स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर भी ग्रहण काल में खुला रहता है. नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मंदिर भी ग्रहण काल में बंद नहीं होता. मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान श्रीनाथ ने गिरिराज पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था, वैसे ही वे भक्तों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रखते हैं. इस दौरान केवल दर्शन होते हैं, अन्य पूजा-विधि टाल दी जाती है.
इन मंदिरों में भी खुले रहते हैं दर्शन
वहीं, मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर ग्रहण काल में भी भक्तों के लिए खुला रहता है. मान्यता है कि कालों के काल महाकाल स्वयं मृत्यु और काल के स्वामी हैं. ऐसे में उन पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
केरल के कोट्टायम जिले में स्थित थिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर की विशेष मान्यता है. दिल्ली का कालकाजी मंदिर भी ग्रहण काल में भी खुला रहता है. देवभूमि उत्तराखंड का कल्पेश्वर तीर्थ और बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर के कपाट भी ग्रहण काल में बंद नहीं होते.
भारत में ग्रहण नहीं दिखेगा, इसलिए भी सूतक भी नहीं
चूंकि भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक नहीं लगेगा, जो आमतौर पर ग्रहण से 12 घंटे पहले लगता है. धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है. इसके चलते इस समय कई धार्मिक और सामाजिक कार्य वर्जित होते हैं. सूतक काल लगते ही सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगाजल से शुद्धिकरण कर पुनः पूजा आरंभ होती है.
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