बांसवाड़ा: रामायण में भगवान राम के किरदार में इतनी खूबियां हैं कि भारतीय समाज में एक समय में तो हर किसी के नाम के पहले राम नाम जुड़ता ही था. जैसे राम लखन, रामकिशोर, रामेश्वर आदि. शायद ही ऐसा कोई हो जो रावण जैसे किरदार के साथ अपना नाम जोड़े या फिर उसका नाम अपने बच्चों के नाम पर रखे. लेकिन जनजातीय क्षेत्रों में इसके उलट एक अलग ही कहानी है.
भारत में ही ऐसे कई जगह हैं, जहां न केवल रावण की पूजा होती है. बल्कि उसको एक आदर्श किरदार के रूप में आज भी पूजा जाता है. कुछ ऐसे ही कहानी राजस्थान के जनजाति बाहुल्य जिलों की है. आज भी जनजाति बाहुल्य जिले बांसवाड़ा-डूंगरपुर से जयपुर तक कई लोग रावण नाम के साथ जीवन बसर रहे हैं. पिता की ओर से जन्म के बाद से रखा गया यह नाम लोगों की जुबां पर आने के साथ ही सरकारी रिकार्ड में भी दर्ज हो चुका है.
मनरेगा में बना है जॉब कार्ड
ऐसे में इसी नाम से राशन कार्ड भी बने और खाद्य सुरक्षा योजना के लाभांवितों की सूची में भी यही हाल है. इतना ही नहीं रावण नाम के व्यक्ति का मनरेगा में भी बकायदा जॉब कार्ड भी बना हुआ है. यह बात दीगर है कि नामकरण के प्रारंभिक दौर में कई तरह की परेशानियां भी आईं. लेकिन वक्त बीतने के साथ अब इसी नाम के साथ वे जीवन बसर करने की आदत हो गई है.
बांसवाड़ा में रहता है विभीषण
इधर, रावण के भाई विभीषण के नाम पर भी बांसवाड़ा के अरथूना ब्लॉक में एक व्यक्ति का नाम है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग की सूची के अनुसार अकेले बांसवाड़ा जिले की पंचायत समिति अरथूना में 9, बागीदौरा, बांसवाड़ा, गढ़ी में एक- एक, घाटोल में दो रावण नाम के व्यक्तियों के बकायदा राशन कार्ड बने हुए है. बांसवाड़ा शहर की एक कॉलोनी में भी रावण नाम का एक व्यक्ति है.
डूंगरपुर में 12 लोगों के नाम रावण
ये बीपीएल, स्टेट बीपीएल, एपीएल की सूची में पंजीकृत होने के साथ ही राशन सामग्री का लाभ भी ले रहे हैं. रावण नाम के लोग प्रदेश के जयपुर के आमेर ब्लॉक से लेकर जनजाति क्षेत्र बांसवाड़ा-डूंगरपुर तक है. डूंगरपुर जिले के आसपुर ब्लॉक में तीन, सीमलवाड़ा में दो, सागवाड़ा में 6, झोथरी ब्लॉक में 2, गलियाकोट में 14 सहित अन्य जिलों में भी कई लोग इस नाम के साथ जी रहे हैं.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में गढ़ी उपखण्ड के एक गांव के रावण नाम के व्यक्ति का बकायदा जॉब कार्ड भी बना हुआ है. हालांकि फिलहाल योजना में काम शुरू नहीं किया है. लेकिन रिकार्ड में यह नाम अब भी दर्ज हैं.
बांसवाड़ा के घाटोल ब्लॉक के 40 वर्षीय रावण नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उनका यह नाम उनके पिता ने नाम रखा है. इसीलिए वह नाम के साथ जीवन-यापन कर रहे है. प्रारंभिक दिनों में नाम को लेकर दिक्कत आई थी. लेकिन अब कोई समस्या नहीं हैं. लोगों की पहचान नाम से नहीं उनके काम से बनती है. इस व्यक्ति का एक बेटा है जो कि सरकारी स्कूल में सातवीं का छात्र है. उसने बताया कि उसे कई बार उसके पिता के नाम से स्कूल में उसके साथी चिढ़ाते है.
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