
Sriganganagar water issue: श्रीगंगानगर की मिट्टी किसानों की मेहनत और फसलों की हरियाली से सजी होती है, आज वो प्यासी है. इस क्षेत्र के खेतों की लाइफलाइन बीकानेर कैनाल पानी की कमी से जूझ रही है. राजस्थान के हिस्से का 2500 क्यूसेक पानी तय है, लेकिन खखां हेड पर सिर्फ 1628 क्यूसेक पानी पहुंच रहा है. एक अनसुलझे जल विवाद ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पिछले महीने जुलाई में श्रीगंगानगर में अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी थी और खेतों में बंपर बुवाई हुई. धान, कपास, और मूंग की फसलों ने खेतों को हरा-भरा कर दिया. उम्मीद थी कि बीकानेर कैनाल और गंगनहर का पानी उनकी मेहनत को फल देगा. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ी और 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान खेतों को झुलसाने लगा, नहरों में पानी की कमी से फसलें मुरझा गई.
पाकिस्तान की ओर छोड़ा जा रहा है 25 हजार क्यूसेक
हरिके हेड वर्क्स, जहां से बीकानेर कैनाल और गंगनहर को पानी मिलता है, इस संकट का केंद्र बिंदु है. हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भाखड़ा-पोंग बांधों में पानी की बंपर आवक के बावजूद, राजस्थान को उसका हक नहीं मिल रहा. हरिके हेड वर्क्स से हुसैनीवाला की ओर 28 हजार क्यूसेक और पाकिस्तान की ओर 25 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. फिरोजपुर फीडर में 8,900 क्यूसेक और सरहिंद फीडर में 5,700 क्यूसेक पानी बह रहा है, लेकिन बीकानेर कैनाल को उसका जायज हिस्सा नहीं मिल रहा.
बीकानेर कैनाल को 15,000 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल 12,000 क्यूसेक पानी ही पहुंच रहा है. यह कमी न केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि किसानों के बीच आक्रोश को भी जन्म दे रही है. सोशल मीडिया पर किसान अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं, यह सवाल उठाते हुए कि अगर भारत का पानी पाकिस्तान जा सकता है तो राजस्थान के खेतों को क्यों नहीं मिल रहा?
किसानों का दर्द और बढ़ता आक्रोश
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, और बीकानेर के किसान इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. गेहूं, धान, और अन्य फसलों को बचाने के लिए पानी की जरूरत है, लेकिन नहरों में पानी की बूंद-बूंद को तरसते खेतों का दर्द अब किसानों के दिल तक पहुंच गया है. इंदिरा गांधी नहर और भाखड़ा प्रणाली, जो राजस्थान के 15 जिलों की प्यास बुझाती है, आज खाली पड़ी हैं.
बंटवारे में असमानता से जल संकट
भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली के लिए पानी का बंटवारा किया जाता है. लेकिन बार-बार राजस्थान को कम पानी मिलने की शिकायतें सामने आती हैं. हरिके हेड वर्क्स से पानी का बड़ा हिस्सा पंजाब और अन्य क्षेत्रों की ओर जा रहा है, जबकि राजस्थान की नहरें सूख रही हैं.
इंदिरा गांधी नहर की री-लाइनिंग और RD 45 की साफ सफाई के लिए बार-बार नहरबंदी की जाती है, लेकिन पंजाब की ओर से इस काम में देरी की शिकायतें हैं. 2023 में 65 दिन की नहरबंदी का फैसला लिया गया था, लेकिन राजस्थान सरकार ने इसे 60 दिन करने की मांग की थी. इससे पानी की आपूर्ति में और रुकावट आती है. किसानों का सवाल है कि जब केंद्र सरकार एक बूंद पानी पाकिस्तान नहीं जाने देने का दावा करती है तो राजस्थान के खेतों को उनके हिस्से का पूरा पानी क्यों नहीं मिल रहा है?
इनपुट- सतीश चौधरी
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