
Rajasthan News: महिलाएं यदि ठान लें, तो क्या कुछ नहीं कर सकतीं. राजस्थान के भरतपुर जिले में रहने वाली महिला ओमवती की कहानी सुनकर आप भी इन लाइनों को दोहराएंगे. ओमवती एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अपने जीवन को बदलने के लिए तुलसी माला बनाने का काम सीखा और आज वह न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं.
परिजनों से छिपकर सीखा काम
नदबई के बैलारा गांव निवासी महिला ओमवती ने बताया, 'मेरा बेटा मोनू 23 साल पहले मथुरा के जैत से तुलसी की माला बनाने का काम सीख कर आया था. उसके बाद वह घर से ही काम करने लगा. घर पर रखी मशीन को देख मेरे मन में काम करने की इच्छा हुई. मैंने बेटे से काम सिखाने के लिए कहा, लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन मैं काम सीखना चाहती थी. इसीलिए जब बेटा काम करता था तो में उसे ध्यान से देखती थी. जब वो घर नहीं होता था तो अकेले में मशीन को चलाकर माला बनाना सीखती थी. एक माह में बिना किसी प्रशिक्षण के मैंने तुलसी की माला बनानी सीख ली.'
हर महीने 25 से 30 हजार की कमाई
ओमवती ने बताया, 'काम सीखने के बाद अब माला बनाने के लिए कच्चे माल और औजार की आवश्यकता थी, लेकिन पैसा था. जैसे-तैसे परिजनों से छिपकर औजार और अरहर की लकड़ी मंगाई. इसके बाद मैंने उनसे पहली माला बनाई और उसे 400 रुपये में बाजार में बेचा दिया. इसके बाद मेरे मन में काम के प्रति जिज्ञासा और बढ़ गई, क्योंकि हमारी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी. हम लोग एक-एक रुपये के लिए मोहताज थे. उस दिन के बाद शुरू हुआ सफर आज भी जारी है. तब से लेकर आज तक मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बस दिन-रात तुलसी की माला बनाने का काम किया. अब हम लोग इतने मजबूत हो गए हैं कि हर महीने 25 से 30 हजार रुपये कमा रहे हैं.'
दिल्ली IIT ने गिफ्ट की मशीन
ओमवती ने सिर्फ खुद की कहानी ही नहीं, बल्कि अन्य महिलाओं की भी स्थिति में सुधार किया है. उन्होंने राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कोलकाता में महिलाओं को संस्था के माध्यम से प्रशिक्षण दिया है, जिससे वह आत्मनिर्भर बनकर अपना जीवन यापन कर सकें. उनके इस काम को देखते हुए कई संस्था और दिल्ली IIT से भी उन्हें तुलसी माला बनाने की मशीन गिफ्ट दी गई है.
'किसी को जरूरत तो मैं सिखाऊंगी काम'ओमवती ने बताया कि वह कच्चा माल उत्तर प्रदेश के मथुरा के जैत गांव से लाती हैं. तुलसी की तीन चार प्रकार की लकड़ी आती हैं, जिनकी कीमत ₹200 से लेकर के ₹350 प्रति किलो होती है. तुलसी की लकड़ी से भजन करने की माला 20, गर्दन में डालने वाली 30 से लेकर 80 माला बनकर तैयार होती है. उन्होंने कहा है कि मेरे घर के आसपास कई ऐसी महिलाएं थी, जिनके पति शराब पीते थे. उन्हें मैंने काम सिखाया और आज वह आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. मैं अन्य महिलाओं से भी अपील करना चाहती हूं, जो काम करना चाहती हैं, वह बेझिझक मेरे पास आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी सफलता की कहानी लिख सकती हैं.
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