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This Article is From May 16, 2024

Ground Report: सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास खनन पर लगी रोक, SC के आदेश से उद्योगपति और मजदूरों में निराशा, वन्यप्रेमी खुश

Mining ban at Sariska Tiger Reserve: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किमी के दायरे में खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को यह आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद एनडीटीवी गुरुवार को सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में पहुंचा. जहां इस फैसले का क्या असर पड़ेगा, इसकी स्टडी की.

Ground Report: सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास खनन पर लगी रोक, SC के आदेश से उद्योगपति और मजदूरों में निराशा, वन्यप्रेमी खुश
Mining ban at Sariska Tiger Reserve: सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास खनन. (फाइल फोटो)

Mining ban at Sariska Tiger Reserve: राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व के एक किलोमीटर के दायरे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खनन गतिविधियों (Mining) पर रोक लगा दी है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को क्लोजर प्लान बनाकर पालना के निर्देश दिए. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संदीप मेहता और एसवीएन भट्टी की पीठ का फैसला आने के बाद NDTV की टीम सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास पहुंची. जहां पहुंचकर टीम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से होने वाले बदलाव की स्टडी की. आइए पढ़ते हैं, सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास मौजूद खनन गतिविधियों पर क्या असर पड़ेगा. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद खान मालिको में भी हड़कंप मच गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जहां अलवर के उद्योगपति इस फैसले से खुश नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं पर्यावरण प्रेमी खुश नजर आ रहे हैं कि कम से कम इस आदेश के बाद अरावली को जीवन दान मिलेगा.

राज्य सरकार को क्लोजर प्लान तैयार करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व के एक किलोमीटर के दायरे में सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी. पीठ ने राज्य से एक क्लोजर प्लान तैयार करने या आदेशों के अनुपालन के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है. अगली सुनवाई 4 जुलाई में होगी. शीर्ष अदालत राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी के बिना सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य के 10 किमी क्षेत्र के भीतर और सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किमी क्षेत्र के भीतर अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए राजस्थान राज्य को निर्देश देने के लिए एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.

याचिका में दावा- खनन माफिया निर्देशों का कर रहे उल्लंघन

मालूम हो कि याचिका में दावा किया गया था कि राजस्थान में कई खनन कंपनियां सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीटीएच क्षेत्रों वाले इको सेंसिटिव जोन में खनन गतिविधियों के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों और निर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं. यह आरोप लगाया गया था कि विभिन्न व्यक्ति और कंपनियां राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी के बिना और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के भीतर या उससे बाहर काम करने के लिए वैध पर्यावरणीय मंजूरी लिए बिना अवैध खनन गतिविधियों को अंजाम दे रही है.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड इजाजत के बिना खनन कार्य किया जा रहा है इस पर रोक लगाई जानी चाहिए मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को निर्धारित की गई है आदेश के बाद सरिस्का के 1 से 10 किलोमीटर में चल रही करीब 85 खानों पर इसका असर दिखाई देगा. 

85 खानों के बंद होने की जताई जा रही आशंका

बताया जा रहा है कि कोर्ट के आदेश के दायरे में सरिस्का और जमबा रामगढ़ बाघ परियोजना के 1 किलोमीटर के दायरे में दी गई कुल 85 खान लीज बंद होगी हालांकि इनमें से 58 को संचालित समिति की स्वीकृति मिली हुई है सिर्फ एक खान मलिक ने कोर्ट के आदेश के मुताबिक नेशनल वाइल्डलाइफ वोट्स अनुमति दी हुई है. यह खान कोर्ट के 2018 के आदेशों की अवहेलना में संचालित हैं यह सभी खान मार्बल की हैं जो सरिस्का के सीटीएच से 70 से 600 मीटर के दायरे में स्थित है.

अरावली में खनन.

अरावली में खनन.

3000 श्रमिकों का छिन सकता है काम

इनमें 61 सरिस्का और 24 जमवा रामगढ़ क्षेत्र में मौजूद हैं कोर्ट के आदेश के बाद करीब 3000 श्रमिकों पर इसका सीधा असर पड़ेगा क्योंकि इन खानों से अलवर जिले के करीब ढाई सौ मीनल प्लांट को भी पत्थर मिलता है जिनमे 3000 श्रमिक काम करते हैं इसके अलावा जयपुर और दौसा सहित अलवर में बड़े पैमाने पर मूर्ति कला और डोलोमाइट के प्लांट लगे हुए हैं जहां सरिस्का का यह पत्थर काम आता है खान बंद होने से यह कारोबार भी प्रभावित होगा 

881 किलोमीटर में फैला है सरिस्का टाइगर रिजर्व

सरिस्का बाघ परियोजना कल 881 वर्ग किलोमीटर एरिया के रूप में अधिसूचित है जबकि 322 किलोमीटर बफर एरिया है जब सरिस्का का दायरा बढ़ाया गया तब के खान मलिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. न्यायालय ने अवैध खनन के मामले को लेकर चल रही याचिका में इस प्रकार को भी शामिल किया.  कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर सरकार को आदेश दिया है कि सरिस्का के बफर जोन के अलावा भी एक किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य बंद होगा.

पर्यावरण प्रेमी बोले- इस फैसले से अरावली पर्वतमाला बचेगी

सरिस्का में खान बंद होने से जहां पर्यावरण प्रेमी खुश हैं. वहीं व्यापारी इस फैसले के बाद सरकार से मांग कर रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय में व्यापारियों का पक्ष रखा जाए. पर्यावरण प्रेमी राजेश कृष्ण सिद्ध ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और कहा है कि इसे वन्य जीव ही नहीं पर्यावरण भी बचेगा और पूर्व में जो हलफनामे में दिए गए थे वह गलत दिए गए थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन हलफनामे को खारिज कर अरावली पर्वतमाला को बचा लिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब खनन पर निश्चित रूप से रोक लगेगी. 

मिलीभगत से चल रहा था खनन का गोरख धंधा

पर्यावरण प्रेमी राजेश कृष्ण सिद्ध ने बताया कि कानूनी और गैर कानूनी तरीके से खनन कार्य नियमित रूप से होता था क्योंकि जो पुलिस-प्रशासन यहां पत्थरों से भरे डंपर या ट्रैक्टर पकड़ता था आखिर में वह पत्थर कहां से आता था यह सब मिलीभगत से हो रहा था. अवैध खनन पर्यावरण की कीमत पर किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता. अरावली है तो हमारा जीवन है और तभी पर्यावरण बचेगा. इसको खनन तक ही नहीं मानना चाहिए बल्कि वहां की क्षेत्र में गैरवानकी कामों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए आखिर में यह रिजॉर्ट को कैसे स्वीकृति मिली हुई है. इस पर भी रोक लगाई जानी चाहिए.

पर्यावरण प्रेमी ने आगे कहा कि अरावली सुरक्षित रहेगी तो निश्चित पानी का जलस्तर भी बढ़ेगा, बांधों में पानी भी आएगा जो प्राकृतिक जल स्रोत एवं में भी पानी आएगा. रोजगार के सवाल पर उन्होंने कहा कि अवैध खनन रोकने से रोजगार कम नहीं होंगे बल्कि 5 गुना रोजगार बढ़ेंगे.

खनन कारोबारी बोले- मार्बल उद्योग पर पड़ेगा असर

इधर व्यापारियों ने भी इस फैसले पर नाराजागी जाहिर की. कारोबारियों ने कहा है कि अभी लिखित फैसला आया नहीं है. लेकिन जिस तरीके से फैसला आया है निश्चित रूप से अलवर के राजगढ़ और थानागाजी के मार्बल उद्योग का सीधा प्रभाव पड़ेगा और अलवर के उद्योगों का 50% इसी मार्बल पर निर्भर है. 1970 से यह उद्योग लगातार चल आ रहे हैं सबसे ज्यादा प्रभाव मार्बल और मिनरल पर पड़ेगा पूर्व में भी कोई दिक्कत आई थी लेकिन सरकार ने सहयोग किया लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उसे पर पाबंदी लगा दी है. 

आदमी ही नहीं रहेगा तो जीव-जंतु क्या करेंगेः मार्बल कारोबारी

अलवर के अलावा सभी अभ्यारण में यह अंदर ही क्षेत्र रिजर्व बना हुआ है लेकिन सरिस्का में यह क्षेत्र बाहर है. व्यापारियों ने कहा कि जब आदमी ही नहीं रहेगा तो जीव-जंतु क्या करेंगे. इसका सीधा-असर अर्थव्यवस्था पर फर्क पड़ेगा क्योंकि 50 फीसदी उद्योग इसी मिनरल पर आधारित हैं और रोजी-रोटी का संकट का सामना भी करना पड़ेगा.

खान विभाग आदेश की कॉपी का कर रहा इंतजार

इधर खान विभाग के एमई  मनोज  शर्मा ने बताया कि अभी आदेशों के प्रति प्राप्त नहीं हुई है. डीएफओ के साथ मिलकर इस पर रोक लगाई जाएगी जो भी जानकारी दिया उपलब्ध करा रहा है. उसी के आधार पर कार्रवाई होगी. वह हर सवाल का जवाब देने से बचते रहे सिर्फ इतना कहा कि कोर्ट के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा और पूरा आकलन किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के जो नोटिफिकेशन है उन्हें आदेशों की पालना की जाएगी.

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