
Rajasthan: सुप्रीम कोर्ट ने लोक सेवक पर हमला करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से जुड़े मामले में अंता विधायक कंवरलाल मीणा की याचिका बुधवार (7 मई) को खारिज कर दी. कोर्ट ने विधायक कवंरलाल को दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का भी निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला 2005 का है, और प्रार्थी 3 साल तक फरार रहा. केस का ट्रायल 2011 में शुरू हो सका. पुरानी पृष्ठभूमि को देखते हुए राहत नहीं दी जा सकती है. अब उनकी विधायकी जाना लगभग तय है. विधायकी जाने पर अंता विधानसभा में उप-चुनाव होगा.
हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने कवंरलाल मीणा को ट्रायल कोर्ट से मिली तीन साल की सजा को रद्द करने से इनकार करते हुए ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया था. विधायक के वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष के पास ठोस सबूत नहीं थे. कथित घटना में 300 से 400 लोग मौजूद थे, लेकिन एक भी व्यक्ति से अभियोजन के गवाह के तौर पर पूछताछ नहीं हुई. ट्रायल कोर्ट ने एक भी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की. कथित रिवॉल्वर की बरामदगी नहीं हुई है.
कांग्रेसियों ने सदस्यता रद्द करने की मांग की थी
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल ने विधानसभा अध्यक्ष के नाम पत्र सौंपकर भाजपा विधायक कंवर लाल मीणा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है. यह पत्र 1 मई, 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश के संदर्भ में सौंपा गया है, जिसमें मीणा की सजा को 3 साल बरकरार रखा है.
सजा पर खत्म हो जाती है सदस्यता
कांग्रेस का कहना है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है. पार्टी ने इस अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के ‘लिली थॉमस बनाम भारत सरकार' (2013) मामले में दिए गए, फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को इस निर्णय पर अमल करना चाहिए.
निचली अदालत ने 3 साल की सुनाई थी सजा
झालावाड़ की एडीजे अकलेरा कोर्ट ने 14 दिसंबर 2020 को कंवरलाल को 3 साल की सजा सुनाई थी. राजकार्य में बांधा डालने और अधिकारियों को धमकाने और संपत्ति में तोड़फोड़ का दोषी माना था. कंवरलाल ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. अब हाईकोर्ट ने भी कंवरलाल मीणा की याचिका को खारिज करते हुए सजा को बरकरार रखा. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था.
जानें क्या है पूरा मामला
3 जनवरी 2005 को कंवरलाल मीणा ने एसडीएम रामनिवास मेहता की कनपटी पर पिस्टल तान दी थी, जान से मारने की धमकी दी थी. झालावाड़ के दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर गांव के लोगों ने खाताखेड़ी के उपसरपंच के चुनाव में संबंध में दोबारा वोटिंग करवाने के लिए रास्ता रोका था. सूचना पर रामनिवास मौके पर पहुंच गए. रामनिवास समझा रहे थे, इसी दौरान कंवरलाल मीणा ने उनकी कनपटी पर पिस्टल तान दी थी. मौके पर प्रोबेशनर IAS डॉ. प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार को धमकी दी. कंवर लाल ने सरकारी वीडियोग्राफर का कैमरा तोड़ा और IAS अधिकारी का कैमरा जब्त कर लिया, जिसे बाद में लौटाया गया. चुनाव बाद मेहता ने 5 फरवरी 2005 को कंवरलाल के खिलाफ मामला दर्ज कराया.
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