
Rajasthan: जयपुर-अजमेर हाईवे पर बुधवार (25 जून) सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ. मौखमपुरा के पास मेथेनॉल से भरा एक टैंकर अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पलट गया. पलटते ही टैंकर में आग लग गई और कुछ ही देर में वह आग के गोले में तब्दील हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टैंकर के ड्राइवर राजेंद्र केबिन में ही फंसा रह गया और आग की चपेट में आकर जिंदा जल गया.
हाईवे पर लगा लंबा जाम
हादसे के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई. हाईवे पर वाहनों की लंबी कतार लग गई, और अफरा-तफरी का माहौल बन गया. स्थानीय लोगों के अनुसार, आग लगने के पौन घंटे बाद पहली दमकल मौके पर पहुंची, जिससे आग पर काबू पाने में देर हुई और जान बचाने का मौका नहीं मिल सका. मोखमपुरा पुलिस मौके पर मौजूद है, और आग पर काबू पाने के प्रयास जारी हैं. फिलहाल NH-48 पर ट्रैफिक को दुरुस्त करने के प्रयास जारी है, आग लगने के मामले की जांच भी की जाएगी.
7 जून को भी टैंकर में हुआ थ रिसाव
7 जून को दूदू स्थित एक पेट्रोल पंप के पास गैस टैंकर से गैस का रिसाव हुआ था. प्रशासन, एडीएम, डीएसपी और दमकल की 5 गाड़ियों ने समय रहते स्थिति संभाली थी. गनीमत रही कि उस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई. 5 जून को रात में भांकरोटा क्षेत्र में ओल्ड कार शोरूम के सामने CNG टैंकर से गैस लीक हुआ था, ड्राइवर की सतर्कता और समय पर दमकल पहुंचने से बड़ा हादसा टल गया था.
टैंकर विस्फोट से हुआ था भांकरोटा हादसा
दिसंबर 2024 में जयपुर-अजमेर हाईवे पर LPG टैंकर में विस्फोट हुआ था, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, और 35 से ज्यादा वाहन जल गए थे. उस हादसे के बाद NHAI अधिकारी का ट्रांसफर दिल्ली कर दिया गया था.
हादसों के बाद उठते सवाल
खतरनाक रसायनों और गैसों से भरे टैंकरों की यात्रा निगरानी कितनी है? क्यों दमकल गाड़ियां इतनी देर से पहुंचती हैं? क्या ट्रांसपोर्ट विभाग और प्रशासन सिर्फ हादसे के बाद चेतता है? लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद गैस और केमिकल परिवहन को लेकर सरकार और विभागों को अब और अधिक जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत हैं, वरना ऐसे हादसे दोबारा हो सकते हैं.
यह भी पढ़ें: 50 साल पहले आज ही के दिन लगा था लोकतंत्र का 'आपातकाल', भारत के इतिहास का सबसे काला दिन; जानें पूरी कहानी