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Great Indian Bustard: विलुप्त द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड "गोडावण" की संख्या एक बार फिर घटने लगी है. लगातार हो रही गोडावण की मौत का कारण जानने के लिए 9 सदस्यीय टीम जैसलमेर पहुंची थी. जो अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. गोडावण की मौत का एक बड़ा कारण हाइटेंशन विद्युत लाइन से भी है. इस मुद्दे को लेकर वन्यजीव प्रेमियों ने आवाज भी उठाई, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इन हाइटेंशन लाइनों को अंडरग्राउंड करने को लेकर कई बार पाबंद भी किया है. इसके बावजूद इसके हाइटेंशन लाइनों को अंडरग्राउंड नहीं किया गया है.
2021 में रिट याचिका पर समिति का हुआ गठन
साल 2021 में पर्यावरणविद और वन्यजीव विशेषज्ञ एमके रंजीत ने एक रिट याचिका पेश कर समिति के गठन की बात की थी. उन्होंने ऊर्जा संयंत्रों के पास हाइटेंशन वाले तारों से टकराने पर वन्यजीवों व गोडावण की मौत पर प्रकाश डाला था. जिस पर मामले में संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में एक कमेटी बनाकर रिपोर्ट बनाने मे निर्देश दिया थे. जिस पर गोडावण व अन्य जीवों के सरंक्षण के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस समिति का गठन कर उन्हें वन्यजीवों के संरक्षण के उपायों के साथ ही ओवरहेड व अंडरग्राउंड केबल व दायरे का निर्धारण करने का काम सौंपा है.
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जिस पर 30 जून को समिति के पदाधिकारी पहुंच और दो दिन तक गोड़ावण के विचरण स्थलों का विजिट किया. इस कमेटी में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय केन्द्रीय ऊर्जा प्राधिकरण, राष्ट्रीय बन्यीय वन्यजीव संस्थान के इत्यादि के अधिकारियों सहित कुल नौ सदस्य है.
समिति के सदस्यों ने सोमवार को रासला, देवीकोट, देगराय ओरण क्षेत्र सहित फील्ड फायरिंग रेंज आदि का भ्रमण कर वहां की वस्तुस्थिति देखी. वहीं आज मंगलवार को कमेटी के सदस्य डेजर्ट नेशनल पार्क, स्लखा, मोकला इत्यादि क्षेत्रों का विजिट किया है. गोडावण से संबंधित प्रकरण में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित नौ सदस्यीय कमेटी ने फिल्ड विजिट के पश्चात जैसलमेर जोधपुर मार्ग स्थित के एक निजी होटल में बैठक की. इस बैठक में कमेटी द्वारा तमाम एनर्जी कम्पनियों के प्रतिनिधियों, वन्यजीव प्रेमियों, पर्यावरणविदों व जन प्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर चर्चा की गई.
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कमेटी द्वारा जैसलमेर के जिलाप्रमुख प्रताप सिंह, पर्यावरणवीद सुमेर सिंह, वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पैमानी, ओरण टीम के भोपाल सिंह झालोडा इत्यादि से बैठक के पश्चात वन टू वन बातचीत की और इस मुद्दे पर इनके विचार जानते हुए सुझाव भी लिए. कमेटी द्वारा गोडावण से संबंधित क्षेत्रों एवं ब्रिडिंग केन्द्रों का आदि का दौरा कर तमाम तथ्यों को जांचते हुए जमीनी हकीकत को देखा है,अब नौ सदस्यीय कमेटी एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर 31 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेगी.
विशेषज्ञ समिति में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक, नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के सदस्य डॉ. हरिशंकरसिंह, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. निरंजन कुमार वासु, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और मुख्य वन संरक्षक महाराष्ट्र पी मजूमदार, द कॉर्बेट फाउंडेशन के उपनिदेशक डॉ. देवेश गढ़वी, नवीन एवं रिन्यूवेबल एनर्जी विभाग के संयुक्त सचिव ललित बोहरा, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त सचिव शामिल रहे.
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