
Badrinath Temple: राजस्थान के गंगापुर सिटी में शहर के मध्य स्थित बद्रीनाथ जी मंदिर को लेकर बुधवार (17 सितंबर) को अग्रवाल–खंडेलवाल धर्मशाला ट्रस्ट और मंदिर के पुजारी रामेश्वर शर्मा के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद एक बार फिर गहराने से तनाव पूर्ण स्थिति पैदा हो गई. विवाद के चलते शहर के मुख्य बाजार बंद रहे और बड़ी संख्या में समाज के लोग सड़कों पर उतर आए. ट्रस्ट का दावा है कि बद्रीनाथ जी मंदिर अग्रवाल-खंडेलवाल समाज का ट्रस्ट है, जबकि पुजारी रामेश्वर शर्मा का कहना है कि यह सर्वसमाज का मंदिर है और ट्रस्ट को अधिकार नहीं है.
बताया जाता है कि रामेश्वर शर्मा का परिवार पीढ़ियों से मंदिर में पूजा-अर्चना और देखरेख करता आ रहा है. पहले वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत रहे, लेकिन जब ट्रस्ट ने कर्मचारियों को बदलने का निर्णय लिया, तब पुजारी ने मंदिर खाली करने से इनकार कर दिया.
निर्माण कार्य से बढ़ा विवाद
एक वर्ष पहले ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण और मरम्मत कार्य की अनुमति प्रशासन से ली, जिसके बाद कार्य शुरू किया गया. चूंकि मंदिर और उससे जुड़ी धर्मशालाओं व दुकानों की करोड़ों रुपये की संपत्ति है, इस कारण विवाद और गहराता चला गया. हाल ही में ट्रस्ट पदाधिकारियों ने पुजारी पर गाली-गलौज और मारपीट के आरोप लगाए थे. समाज का कहना है कि इस संबंध में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने का प्रयास किया गया, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की.

पुलिस पर बल प्रयोग का आरोप
बुधवार को जब समाज के लोग विवाद सुलझाने मंदिर पहुंचे तो पुलिस बल पहले से ही तैनात था. आरोप है कि पुलिस ने किसी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया. इससे लोगों में आक्रोश फैल गया और हजारों की संख्या में समाज के महिला-पुरुष मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए. इसी के चलते गंगापुर सिटी का मुख्य बाजार पूरी तरह से बंद हो गया.
प्रशासन हरकत में
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन हरकत में आया. अतिरिक्त जिला अधिकारी रामकिशोर मीणा, उपखण्ड अधिकारी बृजेंद्र मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश राजोरा, पुलिस उपाधीक्षक सीताराम सहित उदेई मोड़, कोतवाली, सदर और अन्य थानों के थानाधिकारी भारी पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे और हालात नियंत्रित करने का प्रयास किया.
समाज की मांगें
धरने में नगर परिषद सभापति शिवरतन अग्रवाल, पूर्व उपसभापति दीपक सिंघल सहित समाज के अनेक प्रमुख लोग शामिल हुए. समाज के पदाधिकारियों ने प्रशासन से मांग की कि इस विवाद में निष्पक्ष कार्रवाई हो और न्यायालय के आदेशों की पूर्ण पालना सुनिश्चित की जाए.
फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और प्रशासन पूरी तरह सतर्कता बरते हुए हालात पर नजर बनाए हुए है.
यह भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान सरकार को मिली राहत, प्रदूषण बोर्ड में भर्ती के लिए तीन महीने की मोहलत