
Spices' Fair in Rajasthan: नागौर में विश्व प्रसिद्ध पशु मेले की समाप्ति के बाद अब देसी लाल मिर्ची और मसाले का मेला भी शुरू हो गया है. यह मेला करीब एक से डेढ़ महीने तक चलेगा. इस मेले में रसोई का स्वाद बढ़ाने वाले हल्दी, मिर्च, धनिया, जीरा, पान मेथी और राई जैसे मसालों की उपलब्धता है. नागौर की खुशबूदार मेथी की खासियत के चलते विदेश में भी मांग है. ऐसे ही नागौरी लाल मिर्च की डिमांड भी काफी रहती है. इसी के चलते ग्रामीण और शहरवासी सालभर का स्टॉक खरीदने के लिए यहां पहुंचते हैं.
सोयला और मथानिया मिर्च की रहती है डिमांड
व्यापारियों ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी पशु मेले के अंतिम दिनों में ही मसाला और लाल मिर्ची का मेला भी शुरू हो चुका है. व्यापारियों के मुताबिक, बाजार में सबसे ज्यादा सोयला और मथानिया मिर्च की मांग रहती है. क्योंकि सोयला, मथानिया की मिर्च में बाकी मिर्चों के मुकाबले गुणवता व पोषक तत्व अधिक होते हैं. इसके अलावा गुजराती और बिराई की लाल मिर्च भी उपलब्ध होती है.
मथानिया की लाल मिर्च की 350 रुपए किलो तक है कीमत
सोयला व मथानिया की लाल मिर्च 300 से 350 रुपए किलो और बिराई की कीमत 220 से 300 रुपए किलो तक रहती है. जबकि गुजरात की लाल मिर्च 180 से 220 रुपए प्रति किलो मिलती हैं. इसके अलावा अन्य मसाले की कीमत भी बाजार रेट से काफी कम हैं.
ग्राहकों ने बताया कि यहां पर मिलने वाले सूखे देसी मसालों की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. क्योंकि किसान खेतों में देसी खाद और देसी बीज से खेती करते हैं. इसके चलते मसालों की पौष्टिकता बरकरार रहती है और खाने में भी स्वाद मिलता है.
मेले से पूरे साल का स्टॉक लेकर जाते हैं ग्राहक
मेले में आने वाले कई ग्राहकों ने बताया कि देशी और पोष्टिकता के चलते वह बाजार से मसाले नहीं लेते हैं. इसी के चलते वो पिछले कई सालों से यहां आ रहे हैं और एक ही बार पूरे रसोई के लिए मसाले खरीद लेते हैं. ताकि इन सामानों की बाजार से लाने की जरूरत नहीं पड़े.