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राज्य पक्षी गोडावण की लगातार घट रही संख्या, संरक्षण के नाम पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये व्यर्थ

करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पिछले डेढ़ दशक में गोडावण पक्षियों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ. हालांकि प्रजनन केंद्र एक मात्र ऐसा प्रोजेक्ट है, इससे गोडावण संरक्षण के प्रयासों को पंख लगे हैं, लेकिन लापरवाही के कारण पिछले 6 साल से गोडावण की गणना नहीं हुई.

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राज्य पक्षी गोडावण की लगातार घट रही संख्या, संरक्षण के नाम पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये व्यर्थ
फाइल फोटो

Protected Birds Godavan: सीमावर्ती जिले जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क-डीएनपी में राज्य पक्षी गोडावण का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रीय मरू उद्यान में आवारा कुत्तों ने गोडावण का शिकार किया होगा. गोडावण के अवशेष के सैंपल लेकर जांच के लिए देहरादून लैब भेजे जाएंगे.

वाइल्ड लाइफ लवर राधेश्याम पैमानी ने बताया कि म्याजलार गांव के पास डेजर्ट नेशनल पार्क क्षेत्र के क्लोजर के पास गोडावण का क्षत-विक्षत शव मिला. शव के अवशेष के रूप में पंख और कुछ हड्डियां मौके पर मिली हैं. DNP के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पैमानी ने बताया कि गोडावण की डीएनपी एरिया में ही मौत के मामले को लेकर वन्य जीव प्रेमियों में काफी गुस्सा है. 

राधेश्याम पैमानी ने बताया कि आवारा कुत्तों का डीएनपी के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है. जबकि वे धड़ल्ले से दुर्लभ जीवों और पक्षियों का शिकार कर रहे हैं. डीएनपी के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि मौके पर टीम को भेजा गया और गोड़ावण के अवशेष जांच के लिए देहरादून लैब भेजे जाएंगे, ताकि इसकी पड़ताल हो सके.

डीएनपी डीएफओ आशीष व्यास का कहना है कि मौके पर ऐसे कोई निशान नहीं मिले, जिससे से साबित हो जाए कि कुत्तों ने ही गोडावण पक्षियों का शिकार किया है. वो जंगली बिल्ली, लोमड़ी या और भी कोई जंगली जीव हो सकता है. बाकी हम इसकी जेनेटिक लैब से जांच करवाएंगे.

2018 के बाद नहीं हुई गोडावण की गणना

जैसलमेर में गोडावण की आखिरी बार गणना साल 2018 में हुई थी. उस समय की गणना के अनुसार करीब 125 गोडावण थे, जिनमें से अभी 29 गोडावण ब्रीडिंग सेंटर रामदेवरा और सम में है. यहां 5 दशक पहले इनकी तादाद 1500 के करीब थी. वहीं अब इनकी संख्या 150 के भीतर सिमट गई है. सर्वाधिक गोडावण जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में रहते हैं. गोडावण की संख्या में लगातार गिरावट देखी गई है. यह गोडावण संरक्षण प्रोजेक्ट के लिए बड़ी चिंता का विषय है. संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

6 साल में लापरवाही के चलते 9 गोडावण की मौत 

2017 से लेकर अभी तक कुल 9 गोडावण की मौतें हो चुकी है. इसमें से 7 गोडावण तारों की चपेट में आकर काल का ग्रास बन चुके हैं. वहीं, 2 गोडावण का जंगली पशु-पक्षियों ने शिकार कर दिया है. तारों की चपेट में आने से गोडावण जैसे लुप्त प्रायः पक्षी की मौतों ने गोडावण संरक्षण के प्रयासों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. करंट से जिले के रामदेवरा, लोहारकी, खेतोलाई, रासला, मोकला, पारेवर व कनोई में कई गोडावण की मौतें हो चुकी है. इस घटना से पूर्व रामदेवरा के पास बाज ने एक गोडावण का शिकार किया था.

संरक्षण के नाम पर करोड़ों खर्च, पर नहीं बढ़ी संख्या 

गोडावण को लेकर सरकार न गंभीर है न ही अफसर, करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पिछले डेढ़ दशक में गोडावण की संख्या में इजाफा नहीं हुआ. हालांकि प्रजनन केंद्र एक मात्र ऐसा प्रोजेक्ट है, इससे गोडावण संरक्षण के प्रयासों को पंख लगे हैं. लापरवाही के कारण पिछले 6 साल से गोडावण की गणना नहीं हुई. ऐसे में अधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि डीएनपी में कितने गोडावण इस वक्त विचरण कर रहे हैं. 

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