जनजाति जिले बासवांड़ा के घटोल पंचायत समिति के गोलियावाडा गांव में 1988 से अब तक पति-पत्नी ही सरपंच बनते आ रहे हैं, जिसके चलते पूरे जिले में यह सरपंच दंपती के रूप में पहचाने जाने लगे हैं. गोलियावाड़ा पंचायत में 1988 में सबसे पहले मोहनलाल मईडा सरपंच बने. इसके बाद जब यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हुई तो उनकी पत्नी शारदा मईडा ने यहां से सरपंच का चुनाव जीता. यानी 35 साल से लगातार इस पंचायत में मईडा दंपति का 'राज' है.
शारदा मईडा वर्तमान में तीसरी बार की सरपंच बनी हैं, तो पति मोहनलाल 4 बार सरपंच बन चुके हैं. पति-पत्नी के लगातार सरपंच बनने का कारण इनका सरल स्वभाव, ग्रामीणों से जुड़ाव और क्षेत्र में विकास के काम को बताया जा रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में इस दंपत्ति को चुनाव हराने के लिए हर बार और लोग भी खड़े हुए लेकिन, वह जीत नहीं पाए.
गोलियावाडा में मोहनलाल मईडा पहली बार 1988 में सरपंच बने. तब यह खेरवा पंचायत हुआ करती थी. उसके बाद परिसीमन में 1995 में खेरवा पंचायत को दो भाग हो गए और गोलियावाड़ा नई पंचायत बनाई गई. इसमें 1995 में सरपंच के चुनाव हुए. इसमें दूसरी बार फिर मोहनलाल ने जीत हासिल की.
वर्ष 2000 में भी मोहनलाल तीसरी बार यहां से सरपंच बने. 2005 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित कर दी गई. इसमें मोहनलाल ने पत्नी शारदा मईडा को चुनाव मैदान में उतारा और वे जीतीं. फिर 2010 में भी शारदा मईडा ने जीत हासिल की.
2015 में यह सीट पुरुष की हुई तो मोहनलाल फिर चुनाव मैदान में उतरे और चुनाव जीते. वहीं 2020 में यह सीट महिला की हुई और उन्होंने अपनी पत्नी शारदा को तीसरी बार मैदान में उतारा और जीत हासिल की. लगातार सरपंच के चुनाव में जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए पति मोहनलाल मईडा ने कहा कि अगर क्षेत्र के लोग चाहेंगे तो वह फिर से सरपंच का चुनाव लड़ेंगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ तो लोगों की सेवा का प्रयास करते रहेंगे.
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