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This Article is From Apr 18, 2025

Ranthambore Tiger Attack: रणथंभौर में त्रिनेत्र मंदिर के पास फिर से दिखी बच्चे को शिकार बनानेवाली बाघिन कनकटी

रणथंभौर में 16 अप्रैल को त्रिनेत्र माता मंदिर में दर्शन करने गए श्रद्धालुओं के बीच से जिस बाघिन ने एक बच्चे को दबोच लिया था उसकी पहचान हो गई है.

Ranthambore Tiger Attack: रणथंभौर में त्रिनेत्र मंदिर के पास फिर से दिखी बच्चे को शिकार बनानेवाली बाघिन कनकटी
बच्चा अपनी दादी और चाचा के साथ मंदिर से लौट रहा था जब बाघिन ने हमला कर दिया
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Rajasthan: राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिज़र्व में 7 साल के बच्चे पर हमला करनेवाली बाघिन अगले दिन भी उसी जगह घूमती दिखाई दी. दो दिन पहले 16 मार्च को कार्तिक सुमन नाम का बच्चा अपनी दादी और चाचा के साथ जंगल के अंदर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर गया था जब एक बाघिन उसे खींचकर भाग गई. बाद में बच्चे का शव बरामद किया गया. इस घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया. रणथंभौर में पिछले लगभग 40 सालों में पहले भी बाघों ने इंसानों पर हमले किए हैं और लगभग 20 लोगों को मार डाला है. लेकिन यह पहला मौका था जब कोई बाघ राह चलते सैकड़ों लोगों के बीच से किसी इंसान को झपट्टा मारकर भाग गया.

हमला करनेवाली बाघिन

हमला करनेवाली बाघिन की पहचान कर ली गई है. इसका नाम कनकटी है जो टी-84 नाम की बाघिन की बेटी है. इसका नाम कनकटी है. दूसरे दिन भी वह उसी जगह घूमती पाई गई. इसी बाघिन ने 16 अप्रेल को रणथंभौर दुर्ग से त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने वाले सड़क मार्ग पर अमराई के पास बच्चे को पकड़ लिया था और अपने साथ जंगल के अंदर ले गई थी. उसने बच्चे को काफ़ी देर तक अपने पंजों के नीचे दबाए रखा. बाद में वन कर्मचारियों के प्रयासों के बाद जब वह गई तो बच्चे का शव बरामद किया गया.

बच्चा अपनी दादी और चाचा के साथ दर्शन के लिए मंदिर गया था

बच्चा अपनी दादी और चाचा के साथ दर्शन के लिए मंदिर गया था
Photo Credit: NDTV

पिछले तीन महीने से किले में टाइगर मूवमेंट

इस बीच बताया जा रहा है कि पिछले तीन महीने से किले में रोजाना बाघों की मूवमेंट हो रही थी. बाघिन टी-84 अपने युवा शावकों के साथ दुर्ग में कई बार विचरण करते देखी गई. एक शावक ने एक श्रद्धालु को नाखून से भी खरोंच मार दिया था. लोगों ने बाघिन और उसके शावकों को दुर्ग में 32 खंभे की छतरी के पास पार्क व महल के आसपास विचरण करते कई बार देखा है. हालांकि इसके बावजूद पुरातत्व विभाग एवं वन विभाग ने बाघों को दुर्ग में घुसने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. आज भी तीन-चार जगह से परकोटा टूटा है, जहां से बाघों की दुर्ग में आवाजाही होती है.

 अभयारण्य और मंदिर को किया गया बंद

इस हादसे के बाद रणथंभौर अभयारण्य के मुख्य प्रवेश द्वार गणेश धाम को 5 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. साथ ही 21 अप्रैल तक श्रद्धालुओं के त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है. अभी उस छोटे से इलाके में 14 बाघ घूम रहे हैं जिनमें 9 बच्चे और 5 बड़े बाघ हैं.

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