विज्ञापन

Ranthambore Tiger Attack: रणथंभौर में 40 साल पहले भी त्रिनेत्र मंदिर से बच्चे को ले गया था बाघ, एक्सपर्ट ने बताई ताजा हमले की वजह

रणथंभौर में पिछले चार दशकों में बाघों ने करीब 20 लोगों को मार डाला है. लेकिन त्रिनेत्र मंदिर जानेवाले श्रद्धालुओं पर हमले की ये दूसरी घटना है

Ranthambore Tiger Attack: रणथंभौर में 40 साल पहले भी त्रिनेत्र मंदिर से बच्चे को ले गया था बाघ, एक्सपर्ट ने बताई ताजा हमले की वजह

Ranthambore: राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 7 साल के एक बच्चे के बाघ के हमले में मौत ने सनसनी फैला दी है. कार्तिक सुमन नाम का बच्चा अपनी दादी और चाचा के साथ टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर गया जब लौटते समय रास्ते में एक बाघ उसे खींचकर भाग गया और बाद में बच्चे का शव बरामद किया गया. इस हादसे के बाद रणथंभौर अभयारण्य के मुख्य प्रवेश द्वार गणेश धाम को 5 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है. साथ ही श्रद्धालुओं के त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाने पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है. इस बीच रणथंभौर अभयारण्य के जानकारों ने बताया है कि बाघ ने इस तरह से हमला क्यों किया होगा और लगभग 40 साल पहले भी ऐसा एक हादसा हुआ था.

"श्रद्धालु को निशाना बनाने की दूसरी घटना"

रणथंभौर में पिछले 38 वर्षों में बाघों ने 20 लोगों की जान ली है. हालांकि वन्य जीव विशेषज्ञ बालेंदु सिंह ने बताया कि किसी श्रद्धालु पर हमले कम ही हुए हैं. उन्होंने कहा,"रणथंभौर नेशनल पार्क 1975 में बना है और पिछले 40 साल में ये दूसरी ऐसी घटना है जब किसी श्रद्धालु के साथ इस तरह की दुर्घटना हुई है. करीब चार दशक पहले भी एक ऐसी घटना हुई थी और उस वक्त भी एक बच्चे को ही एक बाघ ले गया था."

उन्होंने कहा कि इस मंदिर में पहले से भी श्रद्धालु जाते रहे हैं और सुविधाएं और साधनों के बढ़ने से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है. लेकिन इससे दूसरी तरह की समस्या आ रही है. बालेंदु सिंह ने कहा,"गणेश धाम से लेकर दुर्ग तक जगह-जगह नोटिस लगी हैं जिनमें लिखा है कि लोग वन्य जीवों को खाना ना खिलाएं और सेल्फ़ी ना लें, लेकिन इन दिनों सेल्फ़ी लेने का चलन बढ़ता जा रहा है."

देखें वीडियो-:

"लोगों में डर नहीं रहा"

बालेंदु सिंह ने आगे कहा," पहले के ज़माने में गांव के लोगों से कहा जाता था कि वो अगर मंदिर जाएं तो 15-20 लोगों के जत्थे में आएं, तो वो लोग टोलियों में जाते थे और गीत गाते हुए जाते थे जिससे जानवरों को हैरानी नहीं होती, लेकिन आज लोग ऐसा नहीं करते और रास्तों में मोबाइल से फोटो लेते जाते रहते हैं, तो लोगों में डर खत्म हो गया है, जबकि ये जानवर ताकतवर होते हैं और ख़तरनाक भी हो सकते हैं."

इस घटना के लिए वन विभाग पर लापरवाही के आरोप भी लग रहे हैं और कहा जा रहा है कि श्रद्धालुओं के मंदिर जाने के मार्ग पर कोई गार्ड नहीं था. लेकिन वन विभाग का कहना है कि श्रद्धालु बहुत बड़ी संख्या में थे और मना करने पर भी पैदल मंदिर जा रहे थे. हालांकि पिछले डेढ़-दो महीने से मंदिर और दुर्ग के आस-पास के इलाक़े में बाघों की मूवमेंट हो रही थी. अभी उस छोटे से इलाके में 14 बाघ घूम रहे हैं जिनमें 9 बच्चे और 5 बड़े बाघ हैं. 

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close