
Ranthambore Tiger Attack: राजस्थान के सवाई माधोपुर रणथंभौर टाइगर रिजर्व जो कभी जयपुर राजघराने की शाही शिकारगाह था, वो आज इंसानों के बाघों के शिकार बनने की वजह की चिंता का विषय बना हुआ है. पिछले 38 वर्षों में बाघों ने यहां 20 लोगों की जान ली है, जिनमें सबसे ताजा मामला कल (16 अप्रैल) 7 साल के बच्चे का सामने आया है. त्रिनेत्र गणेश मंदिर से लौटते वक्त 7 साल का कार्तिक सुमन अपनी दादी के साथ जंगल से गुजर रहा था, तभी एक बाघ ने अचानक हमला कर दिया. बाघ बच्चे को मुंह में दबाकर जंगल में ले गया और काफी देर तक शव पर बैठा रहा.
मंदिर की यात्रा पर ब्रेक
वनकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद बाघ को हटाया और शव को अस्पताल भेजा गया. इस हमले के बाद रणथंभौर किले और त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यात्रा पर 5 दिन की रोक लगा दी गई है. रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट ने मृतक बच्चे के परिवार को 1.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है. साथ ही स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की ओर से भी पीड़ित परिवार को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया गया है. वन विभाग ने श्रद्धालुओं से जंगल में अकेले न जाने की अपील की है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की बात कही है.
अब तक कितने हमले हुए
दरअसल इस इलाके में पहला हमला त्रिनेत्र गणेश मंदिर रोड पर 1987 में दर्ज हुआ. उसके बाद 2005 में खंडार क्षेत्र में फसल को पानी दे रहे बुज़ुर्ग पर बाघ ने हमला किया. 2010, 2012 दोनों वर्षों में 3-3 लोगों की मौत. 2015 में एक व्यक्ति की जान गई. 2018 में दो मौतें. 2019 में सबसे ज्यादा 5 लोगों की जान गई. 2023, 2024 हर साल 1-1 मौत. 2025 अब तक 1 बच्चा और 1 युवक बाघों की भेंट चढ़ चुके हैं.
राजस्थान में 141 बाघ हैं
राजस्थान में वर्तमान में 141 बाघ हैं. इनमें सबसे ज्यादा यानी 80 बाघ रणथंभौर में रहते हैं. जबकि सारिस्का (अलवर) 43 बाघ, मुकंदरा हिल्स (कोटा) 2 बाघ, रामगढ़ विषधारी (बूंदी) हाल ही में घोषित 52वां टाइगर रिजर्व, यहाँ भी बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है.
1700 वर्ग किमी में है टाइगर रिजर्व
रणथंभौर की स्थापना 1955 में खेल अभ्यारण्य, 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत टाइगर रिजर्व के रूप में की गई. इसका क्षेत्रफल करीब 1700 वर्ग किमी अरावली और विंध्य श्रंखलाओं के बीच स्थित इस रिजर्व बाघों के अलावा तेंदुआ, नीलगाय, चीतल, भालू, मगरमच्छ और दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ भी मौजूद है. पिछले कुछ समय से इस इलाके में बढ़ते टूरिज्म वनों के सिकुड़ते क्षेत्र और पारिस्थितिकीय बदलावों के चलते जानवरों और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ रही हैं.
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