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बांसवाड़ा में बन रहे परमाणु बिजली घर के विरोध में उतरे आदिवासी, रोत बोले- आदिवासियों पर प्रताड़ना अब नहीं सहेंगे 

विस्थापित होने वाले ग्रामीणों की मांग है कि इससे प्रभावित सभी परिवार के युवाओं को यहां रोजगार उपलब्ध कराया जाए और परिवार के प्रति के व्यक्ति को अलग यूनिट मानकर आवास और रोजगार उपलब्ध कराया जाए. इसके बाद ही वह यहां से विस्थापित होंगे. गौरतलब है कि इन मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव में भी ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था.

बांसवाड़ा में बन रहे परमाणु बिजली घर के विरोध में उतरे आदिवासी, रोत बोले- आदिवासियों पर प्रताड़ना अब नहीं सहेंगे 

Banswara News: बांसवाड़ा जिले के छोटी सरवन क्षेत्र में बनने वाले बांसवाड़ा माही परमाणु बिजली घर का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है और इसका शिलान्यास कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जाना प्रस्तावित है. इसको लेकर इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को विस्थापित किया जा रहा है. लेकिन अब इसके विरोध में स्थानीय लोगों के स्वर मुखर हो गए हैं. बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि लोगों के लिए घातक परमाणु बिजली घर के निर्माण के लिए आदिवासी लोगों को विस्थापित करने का निर्णय सहन नहीं होगा.

सरकार पहले ही दे चुकी 415 करोड़ का मुआवजा 

परमाणु बिजली घर का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले इस क्षेत्र में आने वाले 6 गांवों बारी, सजवानिया, रेल, खड़िया देव, आडीभीत और कटुम्बी आदि गांव में रहने वाले करीब 3 हजार लोगों को विस्थापित किया जाना है. इन परिवारों को सरकार द्वारा 415 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जा चुका है और इसके बदले में 553 हेक्टेयर जमीन आवाप्त की गई है.  इसके साथ ही खड़िया देव में 60 हेक्टेयर जमीन विस्थापित होने वाले लोगों के लिए मकान बनाने के लिए अवाप्त की है.

ग्रामीण कर रहे रोजगार की मांग 

विस्थापित होने वाले ग्रामीणों की मांग है कि इससे प्रभावित सभी परिवार के युवाओं को यहां रोजगार उपलब्ध कराया जाए और परिवार के प्रति के व्यक्ति को अलग यूनिट मानकर आवास और रोजगार उपलब्ध कराया जाए. इसके बाद ही वह यहां से विस्थापित होंगे. गौरतलब है कि इन मांगों को लेकर लोकसभा चुनाव में भी ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था.

जब तक मांग पूरी नहीं, विस्थापन नहीं 

अब जबकि इसका निर्माण कार्य शुरू होने को है इसको लेकर इन गांव में रहने वाले लोगों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और कहा कि उनकी मांगों को अभी पूरा नहीं किया गया है और जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक वह विस्थापित नहीं होंगे.  इसको लेकर परमाणु बिजली घर के प्रबंधकों द्वारा पुलिस से संपर्क कर उनकी सहायता से लोगों को विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

रोत बोले- बिजली घर लोगों के लिए नुकसान दायक है

इसको लेकर बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजकुमार रोत ने भी विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि यह बिजली घर लोगों के लिए नुकसान दायक है और इसके लिए आदिवासी समाज के लोगों को प्रताड़ित करना उचित नहीं है और इसको अब सहन नहीं किया जाएगा.

इसके बाद से यह आशंका जताई जा रही है कि ग्रामीणों के विस्थापन को लेकर विरोध के स्वर और अधिक मुखर होंगे और इसके निर्माण कार्य में देरी होने की भी आशंका जताई जाने लगी है. उल्लेखनीय है कि परमाणु बिजली घर की स्वीकृति करीब 8 साल पूर्व मिल चुकी है और यहां पर 700- 700 मेगावाट के चार यूनिट लगने वाली हैं जिस पर करीब 50 हजार करोड़ की लागत आने की संभावना है.

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