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सांभर झील में फिर से प्रवासी पक्षियों की मौत से हड़कंप, अब तक डेढ़ दर्जन पक्षियों की हो चुकी मौत

पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक झील क्षेत्र में मरे हुए मवेशियों को डालने से बोटुलिज्म पक्षियों में फैल रहा है, क्योंकि मृत मवेशियों में मेगट्स नामक कीड़ा पनप जाता है, जो एवियन बोटुलिज्म बीमारी का कारण है. यह पक्षी उस कीड़े को अनजाने में खा जाते हैं, जिससे वे बोटुलिज्म की चपेट में आ जाते हैं.

सांभर झील में फिर से प्रवासी पक्षियों की मौत से हड़कंप, अब तक डेढ़ दर्जन पक्षियों की हो चुकी मौत

Sambhar Lake: डीडवाना-कुचामन जिले के नावां उपखंड मुख्यालय से सटी एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की सांभर झील में एक बार फिर से प्रवासी पक्षियों पर संकट गहरा गया है. झील में बीते कुछ दिनों से बड़ी संख्या में विदेशी प्रवासी पक्षियों की मौत से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है. यह वही झील है, जहां वर्ष 2019 में भी हजारों पक्षियों की मौत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी थी. इस बार भी पक्षियों की लगातार मौतों ने फिर से प्रशासन को सकते में ला दिया है, वहीं पक्षी विशेषकों को भी चिंतित कर दिया है.

डीडवाना जिले के नावां कस्बे से सटी विश्व प्रसिद्ध सांभर झील नमक उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है. इस झील में सुदूर सात समुंदर पार करके हजारों परिंदे भी अपना पेट भरने के लिए आते हैं, लेकिन अब यही झील बेजुबान परिंदों की कब्रगाह बनती जा रही है. सांभर झील में आने वाले प्रवासी पक्षी बोटूलिज्म नामक बीमारी की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा रहे हैं.

पिछले कुछ दिनों में ही सांभर झील में 17 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है पक्षियों की मौत की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, नगर पालिका, एसडीआरएफ और पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है और रेस्क्यू टीमें मौके पर सक्रिय हैं.

पक्षियों का विशेषज्ञों की देखरेख में उपचार जारी है

झील के आसपास रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. अब तक कई घायल पक्षियों को बचाकर नावां पशु चिकित्सालय पहुंचाया गया है. साथ ही मिठड़ी में विशेष रेस्क्यू सेंटर भी स्थापित किया गया है, जहां पक्षियों का विशेषज्ञों की देखरेख में उपचार जारी है. इसके अलावा मृत पक्षियों के नमूने जांच के लिए विशेषज्ञ टीम को भेजे गए हैं, ताकि मौत के असली कारणों की पुष्टि की जा सके. प्रारंभिक जांच में यह आशंका जताई जा रही है कि पानी में मौजूद परजीवी कीड़े पक्षियों के शरीर में संक्रमण फैलाकर लकवे जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो रही है, जो कि एवियन बॉटलिज्म का ही संकेत है.

पक्षियों की प्रजातियों में ब्लैक विंग स्लीड की संख्या अधिक है

मरने वाले पक्षियों की प्रजातियों में ब्लैक विंग स्लीड की संख्या अधिक है, वही नार्दन साल्वर, कानटीस प्लोवर, सेड पाइपर, गुल, स्टेलिन, इयुरेशियन क्यू, लेपविंग, यूरोपियन पोलवर, पेड एवोकेट, रशियन गोलडन, रफ, कोमन कोट, ग्रीन सेक, लिटिल स्टेन की भी मौत हुई है. ये माइग्रेटी पक्षी है, जो अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप से चलकर नावां - सांभर झील में प्रवास करने के लिए आते है. 

लेकिन इन पक्षियों की मौत से प्रशासन अलर्ट हो गया है. रेस्क्यू टीमों ने झील क्षेत्र में आज भी दौरा कर मृत पक्षियों को हटाया और घायल पक्षियों का रेस्क्यू कर मिठड़ी स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजे गए हैं. डीडवाना जिला कलक्टर डॉ महेंद्र खड़गावत का कहना है कि सभी विभाग मिलकर इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए तैयार हैं. सांभर झील के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

बोटुलिज्म पक्षियों में फैल रहा है

दरअसल, बोटूलिज्म एक गम्भीर न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जिसमें पक्षियों को लकवा मार जाता है. यह बीमारी पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे उनके पंखों ओर पैरों में शिथिल पक्षाघात हो जाता है और गर्दन जमीन को छूने लगती है. एक तरह से पक्षी को लकवा मार जाता है और पक्षी खड़ा होने की स्थिति में नही होता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है.

पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक झील क्षेत्र में मरे हुए मवेशियों को डालने से बोटुलिज्म पक्षियों में फैल रहा है, क्योंकि मृत मवेशियों में मेगट्स नामक कीड़ा पनप जाता है, जो एवियन बोटुलिज्म बीमारी का कारण है. यह पक्षी उस कीड़े को अनजाने में खा जाते हैं, जिससे वे बोटुलिज्म की चपेट में आ जाते हैं. इससे पक्षियों का शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है और वे पानी में डूबने या जमीन पर पड़े पड़े ही दम तोड़ देते हैं. 

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