Rajasthan News: देश में हर क्षेत्र में डिजिटाइजेशन तेज गति से बढ़ रहा है. चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या शिक्षा का. जहां अब शिक्षा की नगरी के रूप में विख्यात जोधपुर में कृषि के क्षेत्र में भी डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश में पहली बार कृषि विश्वविद्यालय में 'जियोइनफॉर्मेटिक्स' (Geoinformatics) डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की गई है. जहां युवाओं को उच्च शिक्षा में नवीन प्रौद्योगिकी से जोड़ने के लिए नवाचार के रूप में प्रदेश में पहली बार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोधपुर में जियो इंफोर्मेटिक्स का एक वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स शुरू कर रहा है.
नए कोर्स से मिलेगा डिजिटलीकरण को बढ़ावा
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. बीआर चौधरी ने बताया कि इस नई कोर्स की शुरुआत से समूचे पश्चिमी राजस्थान के युवाओं में कौशलता के गुणों को विकसित कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से एग्रीकल्चर के डिजिटलीकरण को भी बढ़ावा देगा.
इस कोर्स में अध्ययन करने वाले छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमता, कृषि डेटा विश्लेषण, बाजार के उतार-चढ़ाव व समग्र डेटा विज्ञान पर विस्तृत अध्ययन का अवसर प्राप्त होगा. विश्वविद्यालय कि शिक्षिका और वह इस नए कोर्स की सह-समन्वयक डॉ. प्रियंका स्वामी ने बताया कि कोर्स में विज्ञान, अभियांत्रिकी, कम्प्यूटर विज्ञान, भूगोल या सांख्यिकी विषय में स्नातक कर चुके विद्यार्थी प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं.
क्या है जियो इनफॉर्मेटिक्स?
जियो इंफॉर्मेटिक्स के अंतर्गत ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आते हैं. जो कम्प्यूटर आधारित उपग्रहीय संचार व्यवस्था है. इसकी मदद से किसी वाहन, व्यक्ति या वस्तु की सही-सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है. यह कार्य उपग्रह की मदद से किया जाता है. जिसके तहत कम्प्यूटर के जरिए हम दूर बैठे सारी स्थिति का पता लगा सकते हैं.
वर्तमान समय में जियोइंफॉर्मेटिक्स की जरूरत विभिन्न क्षेत्रों में महसूस की जाने लगी है. जिसमें मुख्य रूप से कृषि, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन, वानिकी, स्वास्थ्य, दूर सूचना पद्धति, खनन, ग्रामीण विकास, दूरसंचार, परिवहन, नगर नियोजन, जल संसाधन प्रबंधन आदि के नाम प्रमुख हैं.
इसरो भी देता है फैलोशिप
जियो इंफॉर्मेटिक्स में जो मुख्य कार्य डाटा बेस तैयार करना है. जिसके लिए पेपर मैप को डिजिटल रूप देने के लिए बहुत से प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ती है. इसके लिए कम्प्यूटर एडेड डिजाइन कैड तकनीक की जानकारी आवश्यक है. इसमें उपग्रह द्वारा भेजी गई सूचनाओं का डाटा तैयार करने के बाद उनका विश्लेषण किया जाता है. इसके बाद एक पूरा मैप तैयार किया जाता है. इस तरह इस तकनीक में डाटा प्रोसेसिंग, प्रोग्रामिंग और डाटा एनालिसिस विशिष्ट रोजगार परक क्षेत्र है. इस कार्य के लिए इसरो भी वरीयता के आधार पर फैलोशिप प्रदान करता है.
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