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कोटा से छात्रों के लापता होने का सबसे बड़ा कारण क्या है? सरकार की कोशिश हो रही विफल

कोटा में देश भर से आने वाले कोचिंग स्टूडेंटस के अचानक लापता होने के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण क्या है कोटा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के विभाग अध्यक्ष भारत सिंह शेखावत ने बताया है.

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कोटा से छात्रों के लापता होने का सबसे बड़ा कारण क्या है? सरकार की कोशिश हो रही विफल
कोटा से क्यों लापता हो रहे हैं छात्र.

Kota News: मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारने का सपना लेकर कोटा में देश भर से आने वाले कोचिंग स्टूडेंटस के अचानक लापता होने के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. इस साल फरवरी महीने में ही 11 फरवरी से 21 फरवरी के बीच चार कोचिंग स्टूडेंट लापता (Coaching Student Missing) हो गए. जिसमें से दो को कोटा पुलिस ने सुरक्षित ढूंढ निकाला एक स्टूडेंट का शव कोटा शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मिला, वहीं एक पश्चिम बंगाल के छात्र की तलाश में कोटा पुलिस की टीम में लगातार जुटी हुई है. लेकिन उसका फिलहाल कोई पता नहीं चल सका है. कोटा में करीब 20 साल से कोचिंग स्टूडेंट के स्ट्रेस को लेकर कार्य कर रहे सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर भारत सिंह शेखावत बताते हैं कि कोचिंग स्टूडेंट के लापता होने के मामले नए नहीं हैं. इससे पहले भी कई बार कोचिंग स्टूडेंट तनाव में आकर लापता हो चुके हैं. कई बार तो ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि बच्चों ने अपने अपहरण की मनगढ़ंत बनाई और कुछ दिन बाद पैसे खत्म हो जाने पर खुद ही वापस लौट आए हैं.

कोटा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के विभाग अध्यक्ष भारत सिंह शेखावत बताते हैं बच्चों में पढ़ाई को लेकर बहुत ज्यादा जब स्ट्रेस हो जाता है तो वह इस तरह का कदम उठाते हैं. ऐसे छात्र सुकून की तलाश में दूर निकल जाते हैं और कई बार आत्महत्या जैसा घातक कदम भी उठा लेते हैं. सरकार द्वारा किए जा रहे बच्चों को तनाव मुक्त रखने के प्रयासों को मनोचिकित्सक ना काफी बताते हैं. क्योंकि बच्चों की तादाद बहुत ज्यादा है और उसके मुकाबले किए जा रहे हैं प्रयास नाकाफी है. हालांकि कई बार जिला प्रशासन और पुलिस के प्रयासों से बच्चों को बचाया भी जाता है. लेकिन बच्चों का लापता होने और आत्मघाती कदम उठाने का ट्रेंड थम नहीं रहा है.

11 फरवरी से 21 फरवरी तक चार छात्र हुए लापता

फरवरी माह में लापता हुए चार में से 3 स्टूडेंटस इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षा जेईई की तैयारी कर रहे थे जबकि एक मेडिकल की नीट की.  11 फरवरी को मध्य प्रदेश के राजगढ़ का रचित सोंधिया इंदिरा विहार क्षेत्र से लापता हुआ जिसका शव 9 दिन बाद कोटा से 35 किलोमीटर दूर जंगल में मिला. वही 13 फरवरी को रिजल्ट जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला पीयूष कासनिया लापता हो गया. जिसको कोटा पुलिस ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में जाकर तलाश कर परिजनों को सौंपा. इसी बीच 17 फरवरी को राजस्थान के शिकार का रहने वाला युवराज कुमावत जो मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था और 2 साल से कोटा में रह रहा था वह भी अचानक गायब हो गया पुलिस ने उसकी मोबाइल लोकेशन के आधार पर परिजनों द्वारा दी गई रिपोर्ट पर तुरंत ही ढूंढ निकाला. 12वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से पूर्व 21 फरवरी को पश्चिम में बंगाल के सिलीगुड़ी का रहने वाला आर्यन मित्रा भी लापता है जिसकी तलाश कोटा पुलिस कर रही है. 

परिजनों को फेक कॉल भी कर रहे हैं परेशान पुलिस कर रही है जांच

कोटा में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे कोचिंग स्टूडेंटस के सुसाइड और लापता होने की खबरें लगातार सुर्खियों में होने से परिजनों में भी चिंता का माहौल है. वहीं कोटा में पिछले कई दिनों से कोटा पुलिस की विशेष स्टूडेंट सेल लगातार कोचिंग स्टूडेंट के बीच पहुंचकर उनसे दोस्ताना संवाद कर रही है. एडिशनल एसपी ठाकुर चन्र्दशील बताते हैं कि अब तक 50000 से अधिक विद्यार्थियों को स्टूडेंट सेल की टीम ने अपने नंबर दे दिए हैं. हर रोज 7 से 8 पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में कोचिंग स्टूडेंट के बीच पहुंचाते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से स्टूडेंटस के अभिभावकों को फेक कॉल के जरिए परेशान करने के मामले भी सामने आ रहे हैं. जिसमें वह कोटा में रह रहे बच्चों के परिजनों को उनके अपहरण करने या अन्य अपराधिक घटना के बारे में फेक कॉल करके ठगी करने का प्रयास कर रहे हैं. कोटा की साइबर सेल इस मामले में भी लगातार अनुसंधान में जुटी हुई है. 

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