Ranthambore Tiger Reserve: बाघों की नर्सरी के नाम से मशहूर राजस्थान के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व की पैराफेरी और कोर एरिया में इन दिनों बाघों की लगातार बढ़ती मौजूदगी लोगों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है. रणथंभौर से सटे ग्रामीण इलाकों से लेकर रिजर्व के हृदय स्थल माने जाने वाले त्रिनेत्र गणेश मार्ग, रणथंभौर दुर्ग और जोगी महल गेट के आसपास लगातार बाघों की चहलकदमी देखी जा रही है. जंगल के बीच स्थित इन धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर श्रद्धालुओं और सैलानियों की आवाजाही बनी रहती है, ऐसे में बाघों का लगातार मूवमेंट किसी बड़े हादसे की आशंका को बढ़ा रहा है. वन विभाग द्वारा भले ही बाघों की निगरानी और ट्रैकिंग की जा रही हो, लेकिन जमीनी हालात अब भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहे जा सकते.
रणथंभौर का नाम आते ही स्वछंद विचरण करते बाघों की छवि जेहन में उभर आती है. देश-विदेश से पर्यटक साल भर यहां बाघों की अठखेलियां देखने पहुंचते हैं. वर्तमान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में करीब 73 बाघ, बाघिन और शावक मौजूद हैं, जिनमें 24 नर बाघ, 25 बाघिन और 24 सब-एडल्ट शावक शामिल हैं. यही वजह है कि रणथंभौर को प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व के लिए बाघों का प्रमुख स्रोत भी माना जाता है. हालांकि बाघों की बढ़ती संख्या एक ओर संरक्षण की सफलता का संकेत देती है, तो दूसरी ओर मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा कर रही है.
त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर विशेष निगरानी व्यवस्था लागू
लगातार खतरे को देखते हुए वन विभाग ने त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर विशेष निगरानी व्यवस्था लागू कर रखी है. वनकर्मियों की गश्ती टीमें रणथंभौर दुर्ग से लेकर गणेश धाम तक लगातार पेट्रोलिंग कर रही हैं. पैदल और दुपहिया वाहनों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. केवल आरजे-25 नंबर की चौपहिया गाड़ियों और निर्धारित टैक्सियों को ही दुर्ग तक जाने की अनुमति दी जा रही है. जब भी इस मार्ग या दुर्ग के आसपास बाघों की मौजूदगी दर्ज होती है, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को तुरंत रोक दिया जाता है. रणथंभौर दुर्ग के गाइडों का कहना है कि यहां अक्सर बाघों का मूवमेंट रहता है और श्रद्धालु भगवान त्रिनेत्र गणेश के भरोसे ही दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं.
2025 में बाघों ने ले लीं कई जानें
साल 2025 रणथंभौर के लिए मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से बेहद चिंताजनक रहा है. अप्रैल, मई और जून के बीच टाइगर हमलों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि एक मासूम की जान पैंथर के हमले में गई. 16 अप्रैल को त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर 7 वर्षीय बालक कार्तिक सुमन की टाइगर हमले में मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था. इसके बाद 11 मई को बाघिन कनकटी ने वन विभाग के रेंजर देवेंद्र चौधरी पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. लगातार दो हमलों के बाद वन विभाग ने बाघिन कनकटी को ट्रैंकुलाइज कर एनक्लोजर में कैद किया, लेकिन 9 जून को एक बार फिर टाइगर हमला हुआ, जिसमें जैन मंदिर के पुजारी राधेश्याम माली की जान चली गई.
बाघिन एरोहेड टी-84 के तीनों शावकों को अन्य अभ्यारण्यों में शिफ्ट किया गया
लगातार बढ़ती घटनाओं के बाद रणथंभौर की कमेटी की सिफारिश और एनटीसीए के निर्देश पर बाघिन एरोहेड टी-84 के तीनों शावकों को अन्य अभ्यारण्यों में शिफ्ट किया गया. मेल शावक को कैलादेवी, मादा शावक को बूंदी के रामगढ़ विषधारी और बाघिन कनकटी को कोटा के मुकुंदरा टाइगर हिल्स भेजा गया. कुछ समय के लिए त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर शांति जरूर रही, लेकिन अब एक बार फिर आधा दर्जन बाघों की सक्रियता ने खतरा बढ़ा दिया है. वन अधिकारी मानते हैं कि यह कोर एरिया है और यहां बाघों का मूवमेंट स्वाभाविक है, लेकिन श्रद्धालुओं और पर्यटकों से पूरी सावधानी बरतने की अपील की जा रही है.