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सचिन पायलट का रिपोर्ट कार्ड: गांव से मिले 10/10 तो शहर में एकदम पलट गया आंकड़ा

MLA Report Card: टोंक विधानसभा से वर्तमान में सचिन पायलट विधायक हैं. मुस्लिम, गुर्जर, माली और एससी मतदाता बाहुल्य इस सीट का इतिहास 1993 से यही रहा है कि जिस दल का विधायक इस सीट से चुना जाता है,

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सचिन पायलट का रिपोर्ट कार्ड: गांव से मिले 10/10 तो शहर में एकदम पलट गया आंकड़ा
टोंक विधायक सचिन पायलट का रिपोर्ट कार्ड. (फाइल फोटो)

Rajasthan Election 2023: सचिन पायलट 2018 में टोंक से पहली बार विधायक का चुनाव लड़कर 54 हजार 179 वोटों की रिकॉर्ड जीत के साथ विधायक बने थे. उस समय उन्होंने बीजेपी के यूनुस खान को हराया था. पायलट राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री बने और एक बार फिर से वह टोंक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं. ऐसे में NDTV राजस्थान की टीम ने टोंक में सचिन पायलट से विकास कार्यो पर बात की. 

इस दौरान आम जनता की समस्याओं को उठाने वाले पत्रकारों से पायलट के कार्यकाल, उपलब्धियों और विकास कार्यो पर बात की गई. जिसमें सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्र में पायलट के चाहने वाले बहुत हैं, जिन्हें उम्मीद है कि एक दिन सचिन पायलट मुख्यमंत्री जरूर बनेंगे और टोंक का विकास होगा. वहीं पत्रकारों के एक दल ने कहा कि सचिन पायलट अपने कद के हिसाब से टोंक में विकास की तस्वीर नहीं बदल पाए. खुद सचिन पायलट कह चुके हैं कि मेरे क्षेत्र में छोटे-बड़े लगभग 190 गांव हैं. मैंने हर जगह विकास को प्राथमिकता दी है. 

लेकिन, वह क्षेत्र में 3 प्रमुख विकास कार्य, और भविष्य में दो बड़े कार्य के सवाल को टालने के साथ ही, 10 में से खुद को कितने नंबर देंगे के सवाल पर बोले कि मैं नंबर देने-लेने में विश्वाश नहीं करता हूं. यह फैसला तो जनता करेगी. वहीं ग्रामीण जनता ने उन्हें 10 में से 10 नंबर दिए तो टोंक के पत्रकारों की टीम ने पायलट को 10 में से 6 नंबर देकर पास किया. देखिए टोंक में ग्राउंड जीरो से सचिन पायलट का रिपोर्ट कार्ड...

10 साल बाद पायलट vs जोगी

टोंक विधानसभा से वर्तमान में सचिन पायलट विधायक हैं. मुस्लिम, गुर्जर, माली और एससी मतदाता बाहुल्य इस सीट का इतिहास 1993 से यही रहा है कि जिस दल का विधायक इस सीट से चुना जाता है, राजस्थान में उसी दल की सरकार बनती है. इस चुनाव में टोंक सीट पर 8 उम्मीदवार हैं. 2023 में भी एक बार फिर से सचिन पायलट कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, तो भाजपा ने अजीत सिंह मेहता को 2013 के बाद एक बार फिर से 2023 में सचिन पायलट के सामने उमीदवार बनाया है.

5 साल में कितने बदले चुनावी मुद्दे

बीसलपुर बांध का पानी खेतों से लेकर नहरों तक की मांग के साथ ही रेल की मांग टोंक के हर चुनाव में मुद्दा रहती है. वहीं स्थानीय मुद्दों की मांग में बिजली, पानी, सड़क, चिकित्सा आदि आते हैं. लेकिन चुनावों के बाद कभी किसी जनप्रतिनिधि या दल ने इन मुद्दों पर जनता के हित में कभी कार्य किया हो, ये नजर नहीं आया. पिछले पांच सालों की बात की जाए तो ईसरदा डेम, गहलोद बनास पर हाई लेबल ब्रिज, मेडिकल कॉलेज, यूनानी कॉलेज, गहलोद बनास नदी में मेहंदवास में रपटा सहित कुछ कार्य केंद्र और राज्य सरकार द्दारा निर्माणाधीन हैं.

टोंक में किस जाति का कितना प्रभाव?

टोंक विधानसभा में कुल 2 लाख 52 हजार 828 मतदाता हैं. जातिगत आंकड़ों पर गौर करें तो यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 61 हजार से 63 हजार के बीच है. जबकि अनुसूचित जाति (बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन वह अन्य जातियां) के लगभग 45 हजार से 46 हजार वोटर्स  हैं. इसी तरह गुर्जर मतदाताओं की संख्या लगभग 34 हजार से 36 हजार के बीच है. माली मतदाता लगभग 16 हजार से 18 हजार के बीच हैं. ब्राह्मण मतदाता लगभग 14 हजार से 15 हजार के बीच हैं. जाट मतदाता लगभग 12 हजार से 13 हजार के बीच हैं. वैश्य-महाजन वोटर्स लगभग 10 हजार हैं. राजपूत वोटर्स लगभग 5 हजार हैं. अन्य जातियों के वोटर्स लगभग 30 हजार हैं. इसी तरह एसटी के लगभग 12 हजार से 13 हजार के बीच वोटर्स हैं. 

मुद्दे और संभावित जितने वाले उम्मीदवार

टोंक विधानसभा चुनाव में नगर परिषद ओर पंचायत समिति का भ्रष्टाचार प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है. वहीं अवैध बजरी खनन और लीज धारक का माफिया राज भी एक मुद्दा बनेगा. बिजली, पानी, सड़क भी मुद्दे हैं तो आजादी के बाद से अब तक रेल का नहीं आना भी बड़ा मुद्दा है. खुद सचिन पायलट अपने 2018 के चुनाव में इन मुद्दों पर वोट हासिल कर 54 हजार 179 वोट की एतिहासिक जीत से विधायक बने थे. कांग्रेस ने उन्हें टोंक से फिर से चुनाव में मैदान में उतारा है, लेकिन इस बार पायलट का मुस्लिमों में उनका विरोध है. बल्कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रो में भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. वह इस बार स्थानीय के मुकाबले बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी चुनाव में नजर आ सकता है.

टोंक में अन्य दल के प्रत्याशी एक्टिव नहीं

जीत का अंतर निश्चित ही इस बार कम रहेगा. इसकी प्रमुख वजह टोंक नगर परिषद और टोंक पंचायत समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार और पायलट समर्थकों द्वारा टोंक की जनता के हितों में कार्य नहीं करना है. पर यंहा से सचिन पायलट की निश्चित ही जीत होगी. यह तय है क्योंकि टोंक सीट पर लगभग 65 हजार मुस्लिम मतदाता हैं जो कि लगभग 75 से 80 प्रतिशत मतदान करते हैं. वहीं गुर्जर मतदाताओं की संख्या भी क्षेत्र में लगभग 35 हजार है, और पायलट के चुनाव लड़ने की स्थिति में गुर्जर समाज का मतदान प्रतिशत भी 80 से 90 प्रतिशत रहेगा. वहीं एससी मतदाताओं की भी यहां अधिक तादाद है. तो सचिन पायलट एक लोकप्रिय नेता हैं. ऐसे में भाजपा के अजित सिंह मेहता इस सीट पर उन्हें कितनी टक्कर देते है देखना यह होगा.

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