Rajkumar Raut Banswara: बांसवाड़ा के सांसद राजकुमार रोत ने राजस्थान के वागड़ इलाके डूंगरपुर बांसवाड़ा में मां बाड़ी केंद्रों पर बच्चों के नामांकन में भारी कमी को लेकर भजनलाल सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने क्षेत्रीय जनजाति विकास विभाग या TAD (Tribal Area Development) पर आरोप लगाए हैं. रोत ने 'एक्स' पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि मां बाड़ी केंद्रों पर बच्चों को अल्पाहार और दोपहर का भोजन दिया जाता था, साथ ही पाठ्य सामग्री, स्वेटर, जूते जैसी आवश्यक चीजें एडमिशन के समय ही प्रदान की जानी चाहिए थी,. लेकिन यह सब पिछले तीन महीनों से बंद पड़ा है.
उन्होंने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ''TAD विभाग द्वारा संचालित मां बाड़ी केंद्रों पर पिछले 3-4 माह से खाद्य सामग्री, स्टेशनरी एवं विभागीय नियमानुसार अन्य सुविधा बच्चों को नहीं मिलने से हजारों आदिवासी बच्चों का केंद्रों से पलायन और शिक्षाकर्मियों को भी समय पर भुगतान नहीं. TAD मंत्री महोदय होश में आओ. आपकी गलत नीतियों की वजह से हजारों आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है.''
''आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में डाला जा रहा है''
राजकुमार रोत ने कहा कि अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को पहले जो सुविधाएं और भोजन मिल रहा था, वह अब बंद हो गया है. शिक्षाकर्मी बच्चों को बुलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन सामग्री और सुविधाओं के अभाव में बच्चे केंद्रों में टिक नहीं पा रहे हैं. इस बीच, यह भी जानकारी मिली है कि अधिकारियों के भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थ के कारण प्रक्रियाओं में देरी हो रही है, जिससे आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकार में डाला जा रहा है.
TAD विभाग द्वारा संचालित माँ बाड़ी केंद्रों पर पिछले 3-4 माह से खाद्य सामग्री, स्टेशनरी एवं विभागीय नियमानुसार अन्य सुविधा बच्चों को नहीं मिलने से हजारों आदिवासी बच्चों का केंद्रों से पलायन और शिक्षाकर्मियों को भी समय पर भुगतान नहीं।
— Rajkumar Roat (@roat_mla) January 15, 2025
TAD मंत्री महोदय होश में आओ। आपकी गलत… pic.twitter.com/CEv39k8ObR
''करेंगे बड़ा आंदोलन''
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है, बल्कि सच्चाई यह है कि टीडी विभाग में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है. आदिवासी बच्चों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए. यदि जल्द ही मां बाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं का वितरण शुरू नहीं हुआ, तो हमारी पार्टी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगी.
मां बाड़ी केंद्रों का उद्देश्य
मांबाड़ी केंद्रों का मकसद गांवों में रहने वाले 6 से 12 आयु वर्ग के जनजाति समुदाय के बालक-बालिकाओं को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है. ऐसे बच्चे, जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने घर से 2 से 4 किमी तक पैदल चलना पड़ता है, उनके लिए गांव और ढाणियों में ही इन केंद्रों का निर्माण किया जाता है. इन केंद्रों पर शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं. प्रत्येक केंद्र पर अधिकतम 30 बच्चों का नामांकन किया जाएगा.
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