Udaipur Film Festival: उदयपुर में तीन दिन तक चलने वाले फिल्म फेस्टिवल से जुड़ा विवाद सामने आया है. इस फिल्म फेस्टिवल को विभिन्न संगठनों द्वारा रुकवा दिया गया. यहां नहीं विरोध के कारण आयोजकों को फिल्म फेस्टिवल के आयोजन की जगह तक बदलनी पड़ गई. अब इस मामले में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज संगठन ने इसकी निंदा की और इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर आक्रमण बताया है.
समापन से पहले खड़ा हुआ विवाद
दरअसल, फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 15 नवंबर को उदयपुर के रविन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के सभागार में शुरू हुआ. इसमें विभिन्न विषयों पर फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा था. तीन दिन के फिल्म फेस्टिवल का समापन 17 नवंबर को होना था. इससे पहले ही विवाद खड़ा हो गया. उदयपुर फिल्म सोसायटी की संयोजक रिंकू परिहार ने बताया कि हर साल फिल्म फेस्टिवल को किसी ना किसी विषय या व्यक्ति को डेडिकेट करते हैं. फिल्मों का प्रदर्शन चल ही रहा था. अचानक कुछ संगठन से जुड़े लोग वहां पहुंचे और फिल्मों को रुकवाकर कार्यक्रम बंद करने की कहा.
जानकारी के मुताबिक, यह फिल्म फेस्टिवल डॉ जी एन साईबाबा और फिलिस्तीन में मारे गए बच्चों को समर्पित था. इसी को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई. विरोध को देखते हुए फिल्मों कुछ देर के लिए बंद कर दिया. रिंकू परिहार का कहना है कि मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से मुलाकात की. इसके बाद कलेक्टर से भी गुहार लगाई, लेकिन कलेक्टर कार्यालय से मेडिकल कॉलेज और आयोजकों का निजी मामला बताते हुए कोई मदद नहीं की.
विरोध के बाद बदलनी पड़ी आयोजन की जगह
इसके बाद मजबूरन हमें कार्यक्रम बंद करना पड़ा. आयोजकों ने आयोजन स्थल बदलने के बाद कार्यक्रम चालू रखने को सोचा. इसके बाद अशोक नगर में एक प्लॉट खाली मिला, जहां पर पशुओं को बांध रखा था. वहां टेंट लगवाकर फिल्मों को प्रदर्शित किया और समापन किया. उनका कहना है कि इस प्रकार से किसी कार्यक्रम को बंद करवाना गलत हैं, जबकि कार्यक्रम अनुमति के बाद ही शुरू किया गया था.
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