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तकनीक और भारतीय परंपरा दोनों की मदद से बच्चों को संवार रहे आंगनवाड़ी केंद्रः स्मृति ईरानी

NDTV के एक-दिवसीय कॉन्क्लेव 'अमृतकाल की आंगनवाड़ी' के दौरान हुई बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों को आधुनिक तकनीक से लैस किया गया है.

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तकनीक और भारतीय परंपरा दोनों की मदद से बच्चों को संवार रहे आंगनवाड़ी केंद्रः स्मृति ईरानी
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मंत्री स्मृति ईरानी, NDTV के एक-दिवसीय कॉन्क्लेव, 'अमृतकाल की आंगनवाड़ी'

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani On Amritkaal Ki Anganwadi) अमृतकाल की आगनवाड़ी विषय पर NDTV से बातचीत कर रहीं थी. उन्होंने कहा कि देश के आंगनवाड़ी केंद्रों में शिक्षा के लिए तकनीक के जुड़ाव के साथ-साथ भारतीय पारम्परिक पद्धतियों का पालन किए जाने का ज़िक्र किया और कहा कि इससे ज़मीन से जुड़े रहकर आधुनिक शिक्षा प्रदान की जा सकती है.

तकनीक की मदद से दुनिया की समझ बढ़ेगी

ईरानी के अनुसार, नई तकनीक का इस्तेमाल किए जाने से न सिर्फ़ बच्चे आज की दुनिया की चुनौतियों से जूझ सकेंगे, बल्कि खुद में आत्मविश्वास भी पैदा कर सकेंगे कि वे इनसे किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं. साथ ही, भारतीय परम्पराओं को भी जानते रहने से उन्हें ज़मीन से जुड़े रहने में मदद मिलेगी. स्मृति ईरानी के मुताबिक बच्चे अपने जैसे देश के अन्य बच्चों से प्यार और लगाव की भावना को बनाए रख सकेंगे और देश के गौरव को पाने में समर्पित हो सकेंगे.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का अर्ली चाइल्डहुड लर्निंग का अनुभव सरकार बच्चों को देती है. इसका मतलब यह नहीं कि किताबों का ढेर लगा दिया जाए.

ट्रैकर की मदद से मंत्री, सचिव को ट्रैक करना हुआ सुलभ

उन्होंने कहा कि इसके अलावा आंगनवाड़ी के संचालन और प्रशासन में भी तकनीक सबसे ज़्यादा मददगार हुई है. तकनीक को लेकर बनाई गई होलिस्टिक एप्रोच, तकनीक से तैयार किए गए ट्रैकर की मदद से मंत्री, सचिव और संचालन में जुड़े अन्य लोगों को तुरंत ही पता चल जाता है कि किस आंगनवाड़ी केंद्र में या किस आंगनवाड़ी केंद्र के किस डेस्क पर कोई चीज़ या काम अटक रहा है.

घरेलू खिलौने से देशी परम्पराओं से जुड़ना आसान

इसके साथ ही, पारम्परिक खिलौने भी हमारी इस 'होलिस्टिक एप्रोच' का हिस्सा रहे हैं. इसके तहत विदेशी खिलौनों को आयात करने के स्थान पर पहले से भारत में मौजूद खिलौनों की व्यापक संस्कृति का इस्तेमाल करने के बारे में सोचा गया, ताकि बच्चे आधुनिक शिक्षा पाते-पाते भी देश की परम्पराओं से जुड़े रहें. 

देश में लगभग 11 करोड़ 30 लाख बच्चों में से 8 करोड़ बच्चे आंगनबाड़ी की परधि में पढ़कर शैक्षिक संस्थान में जाते हैं.

'अमृतकाल की आंगनवाड़ी' विषय पर रखे विचार

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा NDTV के एक-दिवसीय कॉन्क्लेव 'अमृतकाल की आंगनवाड़ी' के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों को भी आधुनिक तकनीक से लैस किया गया है, ताकि देश की सभी महिलाओं को सभी तरह की समस्याओं के लिए आंगनवाड़ी केंद्र भी सटीक सुझाव पाने का ज़रिया लग सके. 

स्मृति ईरानी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के मुताबिक, हर साल 300 करोड़ के बजट का एक हिस्सा आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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