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अंता विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद भाया की पत्नी उर्मिला जैन ने भी भरा नामांकन, जानिये क्या है मामला ? 

बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. यहाँ सियासी बिसात त्रिकोणीय बन गई है. भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार तीनों अपने-अपने सामाजिक समीकरण साधने में जुटे हैं. जातिगत गणित इस चुनाव की असली कुंजी बन चुका है.

अंता विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद भाया की पत्नी उर्मिला जैन ने भी भरा नामांकन, जानिये क्या है मामला ? 

Anta By Election 2025: कांग्रेस ने अपने वैकल्पिक प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन का नामांकन दाखिल करवाया है. शनिवार दोपहर को उन्होंने अंता विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष अपना नामांकन प्रस्तुत किया. कांग्रेस के प्रमुख प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के नाम वापस लेने की स्थिति में उर्मिला जैन को संभावित प्रत्याशी के रूप में घोषित किया जा सकता है. वहीं, किसी अन्य कारण से अगर उनका नामांकन रद्द होता है, तो उर्मिला जैन को ही पार्टी की ओर से प्रत्याशी घोषित किया जाएगा.

शनिवार दोपहर को ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मोरपाल सुमन ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. इस दौरान उनके साथ भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह और जिलाध्यक्ष नरेश सिकरवार सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे. भाजपा प्रत्याशी का नामांकन दाखिल होने के बाद अब अंता विधानसभा क्षेत्र में चुनावी स्थिति पूरी तरह साफ हो गई है. यह मुकाबला अब सीधा और कांटे की टक्कर वाला माना जा रहा है, जो कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रमोद जैन भाया और भाजपा के मोरपाल सुमन के बीच होगा.

अंता विधानसभा में करीब 2.25 लाख मतदाता

बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. यहाँ सियासी बिसात त्रिकोणीय बन गई है. भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार तीनों अपने-अपने सामाजिक समीकरण साधने में जुटे हैं. जातिगत गणित इस चुनाव की असली कुंजी बन चुका है. अंता विधानसभा में करीब 2.25 लाख मतदाता हैं. इनमें माली समाज के लगभग 40 हजार, अनुसूचित जाति के 35 हजार और मीणा समुदाय के 30 हजार मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा धाकड़, ब्राह्मण, बनिया और राजपूत समाज के वोट भी हैं. 

जातीय खींचतान मुकाबले की दिशा तय करेगी

इस क्षेत्र में माली समाज बहुल है लेकिन अकेले उनके वोट से जीत आसान नहीं. माली और मीणा वोट जिस तरफ़ एकजुट होते हैं उसी दल की जीत तय होती है. भाजपा को परंपरागत रूप से माली और शहरी वोटों का समर्थन मिलता रहा है जबकि कांग्रेस मीणा और एससी समुदाय पर भरोसा करती आई है. पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया एक बार फिर मैदान में हैं.  इस बार दोनों दलों के बीच यही जातीय खींचतान मुकाबले की दिशा तय करेगी.

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