
पिछले साल राजस्थान में लंपी बीमारी की चपेट में आकर गाय-भैंस की जान गई थी. लंपी के अलावा और भी कई बीमारियां हैं, जो हमारे पालतू पशुओं की जान लेती रहती है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुओं के लिए दवाओं की आसानी से उपलब्धता अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. गांव में गाय-भैंस, घोड़े, ऊंट जैसे जानवरों के साथ-साथ शहरों में पेट के पाले जा रहे कुत्ते, बिल्ली, खरगोश सहित अन्य जानवरों का सही इलाज मिलना अक्सर काफी मुश्किल होता है.
पशुओं के समुचित इलाज को ध्यान देते हुए मेरठ स्थित Vastal Pharmaceuticals ने खास तैयारी की है. 2003 से पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही इस कंपनी ने बताया है कि वह पालतू जानवरों और पशुधन की नियमित देखभाल से जुड़ी श्रेणियों में अपना पोर्टफ़ोलियो बढ़ाने जा रही है.
कंपनी के अनुसार, पेट-सेगमेंट में डॉक्टर-केंद्रित सप्लाई और पशुधन श्रेणी में संगठित वितरण नेटवर्क के जरिए स्टॉक योजना बेहतर होता है. ग्रामीण-शहरी गलियारे में छोटे शहरों और कस्बों तक पहुँच बढ़ाने के लिए ऑफ़लाइन चैनलों के साथ कई ऑनलाइन मार्केटप्लेस और बी2बी प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मांग के अनुसार छोटे-बड़े सभी ऑर्डर समय पर पूरे किए जा सकें.

आगामी महीनों में कंपनी लीवर सपोर्ट, कोट-केयर, कैल्शियम और न्यूरो-हेल्थ जैसी श्रेणियों में नए ऑप्शन जोड़ने की योजनापर काम कर रही है. फाउंडर-सीईओ तरुण चौधरी का कहना है, “Vastal Pharmaceuticals प्रमाणित, उच्च-गुणवत्ता वाले वेटरनरी उत्पाद उपलब्ध कराने के प्रति प्रतिबद्ध है. हमारी कोशिश है कि देश के किसी भी कोने में पशुओं के इलाज में आने वाली परेशानी को कम किया जा सके.