
Udaipur city Palace: विश्वराज सिंह को पूर्व मेवाड़ राजवंश के 77वें उत्तराधिकारी एकलिंगनाथ दीवान के रूप में गद्दी पर बैठाने का दस्तूर करीब 5 घंटे तक चला. बड़ी संख्या में लोग राजपूत वेश भूषा में पहुंचे. चित्तौड़गढ़ में सुबह करीब 11 बजे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक का कार्यक्रम शुरू हुआ. विश्वराज सिंह राजसी लवाजमे के साथ महल परिसर में पहुंचे थे. पांडाल में गद्दी तक फूलों की कालीन बिछी थी. प्रकाश महल में चल रहे हवन में पूर्णाहूति दी. इसके बाद गद्दी के नीचे बैठकर उसकी पूजा की.
तलवार से अंगूठे पर चीरा लगाकर रक्त से लगाया तिलक
परंपरा के अनुसार, सलूंबर के पूर्व राव देवव्रत सिंह ने हाथ पकड़कर उन्हें गद्दी पर बैठाया. इसके बाद तलवार से अंगूठे पर चीरा लगाकर रक्त से विश्वराज सिंंह के ललाट पर टीका किया. पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्च्चारण किया. 21 तोपों की सलामी दी गई. ढोल नगाड़े बज रहे थे. पूरा प्रकाश महल जय एकलिंगनाथ के जयघोष से गूंज उठा. रिश्तेदार और परिजन, समाज के लोग, जनप्रतिनिधि और समाज संगठनों ने विश्वराज सिंह मेवाड़ को नजराना पेश करते हुए बधाई दी.
इसके बाद विश्वराज कुलदेवी बाणमाताजी और अन्नपूर्णा मां के दर्शन किए. कालिका माताजी, जौहर स्थल, राजटीला, फत्ता हवेली, रास्ते में कल्लाबावजी आदि दर्शन किए. वे दोपहर करीब 3 बजे तक दुर्ग पर ही रहे.


चित्तौड़गढ़ के प्रकाश महल में राजतिलक की रस्म के दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे.
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