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जालोर में ऊंट गाड़ी पर देवासी समाज के दूल्हे राजा की बारात, अनोखे अंदाज में दिखे सभी बाराती

राजस्थान के जालोर में लाखों रुपये खर्च करके लग्ज़री गाड़ियों में बारात निकालने के बजाय ऊंट गाड़ी पर बारात निकली.

जालोर में ऊंट गाड़ी पर देवासी समाज के दूल्हे राजा की बारात, अनोखे अंदाज में दिखे सभी बाराती
जालोर में ऊंट गाड़ी पर निकली बारात

राजस्थान के जालोर में अनोखी शादी देखने को मिली है. लाखों रुपये खर्च करके लग्ज़री गाड़ियों में बारात निकालने के बजाय ऊंट गाड़ी पर बारात निकली. एक साथ बड़ी संख्या में ऊंट गाड़ी से बारात का नजारा देखने वाला था. इस बारात की एक और खासी रही. शादी में शामिल होने जा रहे बाराती सूट-बूट न होकर राजस्थानी परंपरा में सफेद कुर्ता और धोती में नजर आए. इसके साथ सभी सिर पर लाल पगड़ी पहनकर बारात में शामिल हुए हैं. 

सफेद कुर्ता-धोती और पगड़ी में सभी बाराती

दरअसल, जालोर जिले के सायला क्षेत्र के बावतरा गांव के रहने वाले बिजनेसमैन वगताराम देवासी के बेटे विक्रम की शादी थी. शादी में शामिल होने के लिए सभी बाराती सूट-बूट की बजाय परंपरागत सफेद कुर्ता-धोती और लाल पगड़ी पहनकर 15 से अधिक ऊंट गाड़ियों पर सवार होकर दुल्हन के घर तक पहुंचे. बावतरा निवासी बिजनेसमैन वगताराम देवासी के बेटे विक्रम की शादी सायला के वालेरा गांव के किसान सोपाराम की बेटी पारस से हुई है.

वगताराम की अफ्रीका और (मैसूर) कर्नाटक में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हैं. प्लास्टिक के सभी प्रकार के घरेलू आइटम निर्मित होते हैं. देवासी समाज के बेटी की शादी में आई इस बारात का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है. NDTV से ख़ास बातचीत में बारातियों ने बताया कि ऊंट गाड़ी से 15 किलोमीटर तक दुल्हन के घर पहुंचने में अलग अनुभव था. बारात में शामिल होने वाले सभी बारातियों ने अपने समाज की परम्परागत वेशभूषा को जीवित रखते हुए सूट-बूट की बजाय परंपरागत सफेद कुर्ता-धोती और लाल पगड़ी पहना.

बारात को देखने जगह-जगह जुटे लोग

सजी-धजी ऊंट गाड़ियों पर लाल गुमटियां बनाई थीं. एक साथ दर्जनों ऊंट गाड़ी से परंपरा तरीके से निकली बारात का नजारा देख हर कोई हैरान रह गया. रास्ते में जगह-जगह बारात देखने के लिए लोग जुट गए. लोगों ने अपने मोबाइल में इस नजारे को कैद किया. वालेरा गांव में बारात का भव्य स्वागत हुआ. डॉक्टर नरसी राम देवासी ने बताया कि बारात ऊंटों पर निकालकर हमने मैसेज दिया है कि हमारे लिए कल्चर सबसे पहले है. हमारी कोशिश है कि हम अपनी संस्कृति को जीवित रखें.

ऊंट गाड़ियों पर निकाली बारात के अलावा बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग कार की भी व्यवस्था कर रखी गई. जिससे शादी समारोह में भाग लेने के लिए इनको किसी दिक़्क़त का सामना नहीं करना पड़े. दुल्हे के पिता वगताराम की इच्छा थी कि बारात ऊंटों पर सवार होकर दुल्हन के घर पहुंचे. ऐसे में 15 ऊंटों पर बारात निकालने का विचार किया.

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