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This Article is From Dec 23, 2023

Mission Chandrayaan-3: जब चांद पर लहराया तिरंगा, मिशन 'चंद्रयान-3' में राजस्थान का क्या रहा योगदान?

Year Ender 2023: चन्द्रयान-3 ने जुलाई 14 को इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM-3 से इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी और 23 अगस्त को सफलता पूर्वक चांद की सतह पर उतर कर, भारत को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना दिया.

Mission Chandrayaan-3: जब चांद पर लहराया तिरंगा, मिशन 'चंद्रयान-3' में राजस्थान का क्या रहा योगदान?
India's Moon Mission: चंद्रयान-3

Rajasthan News: 23 अगस्त 2023, ये तारीख भारत के इतिहास मे हमेशा याद रखी जाएगी, क्योंकि बुधवार की उस शाम चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैडिंग कर इतिहास रच दिया था. उस दिन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के साइंटिस्ट की कामयाबी का जश्न देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने मनाया. भारत के हर गली-मोहल्ले-दफ्तर में मिठाईयां बांटी गईं और राजधानी से लेकर बॉर्डर तक लोग खुशी से झूम पड़े. अगले दिन दुनियाभर में अखबारों के फंट फेज पर भी भारत के इतिहास रचने की ही चर्चाए थीं, क्योंकि भारत ने वो कर दिखाया था, जो कोई ओर नहीं कर पाया. इस कामयाबी को हासिल करने में कई लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें राजस्थान के भी कुछ नौजवानों के नाम शामिल हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में...

'सेंसर' बनाने वाली सुनीता खोखर

डीडवाना जिले के गांव डाकीपुरा की रहने वाली सुनीता खोखर चंद्रयान-3 का अहम हिस्सा रही हैं. सुनीता ने चंद्रयान-3 लेंडर के सेंसर को बनाने में योगदान दिया है. सेंसर का मुख्य काम चंद्रयान की गति और ऊंचाई बताना है. इसकी सारी गतिविधि को लेकर जो भी प्रोग्राम बनते हैं, वह सेंसर के माध्यम से ही बनते हैं और उसी से ही सारी सूचनाएं इसरो के वैज्ञानिकों को प्राप्त होती है. सुनीता के चंद्रयान-3 का हिस्सा बनने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उन्हें बधाई दी थी और उन्हें राजस्थान का गौरव बताया था. सुनीता के माता-पिता किसान हैं और बेहद ही साधारण परिवार से हैं. सुनीता ने कक्षा 1 से लेकर 8 वीं तक अपने गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और साल 2017 में अहमदाबाद अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में अपनी सेवा दीं. इसके बाद सुनीता अपने हुनर और मेहनत के दम पर इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनीं.

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अहम भूमिका में थे दो युवा वैज्ञानिक

सुनीता के अलावा ISRO की टीम में राजस्थान के दो युवा वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने चन्द्रयान-3 के रॉकेट और क्रायोजेनिक इंजन के विभिन्न भागों में काम आने वाली धातुओं का परिक्षण किया था. उनके नाम गौरव वर्मा और वेद प्रकाश शर्मा हैं. धातुओं के पुख्ता परिक्षण में दोनों युवा वैज्ञानिकों ने अहम भागीदारी निभाई थी. दोनों वैज्ञानिकों ने MNIT जयपुर से अपनी पढ़ाई की है. गौरव वर्मा पुत्र सुदेश कुमार वर्मा मां रजनी वर्मा त्रिवेणी नगर जयपुर के निवासी हैं. गौरव ने IIT Bombay से M.tech किया है. वहीं वेद प्रकाश शर्मा पुत्र उमाशंकर शर्मा मां कुसुम लता शर्मा गांव तालाब, राजगढ़ अलवर के निवासी हैं. दोनों अभी इसरो के त्रिवेंद्रम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में कार्यरत हैं.

झुंझुनूं के लाल ने भी किया कमाल

चंद्रयान-3 मिशन में देश के अलग-अलग शहरों के वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके अपने हुनर और मेहनत के जरिए इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाया है. इस मिशन मे शामिल महान प्रतिभाओं में से ही एक है अभिषेक कुमावत. वे झुंझुनूं के रहने वाले हैं. सफलतापूर्वक लॉन्च हुए चंद्रयान-3 में अपना योगदान देने के बाद उन्होंने आदित्य एल-1 में भी अपना सहयोग दिया. अभिषेक ने झुंझुनूं के एक निजी शिक्षण संस्थान में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने जयपुर से आईआईटी की तैयारी की. सूरत गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में चयन के बाद केमिकल इंजीनियरिंग के तौर पर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इसरो ज्वाइन किया. वैज्ञानिक अभिषेक के पिता राम सिंह ने बताया कि अभिषेक 6 साल से इसरो में सेवा दे रहा है.

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जोधपुर से भेजा गया था खास मटेरियल

मिशन चंद्रयान-3 में राजस्थान के जोधपुर का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. चंद्रयान तैयार करने में जिस मटेरियल की जरूरत थी, उसकी सप्लाई करने में जोधपुर की उमा पॉलीमर्स लिमिटेड का अहम रोल रहा है. फ्लैक्सिबल होस्ट मैटेरियल सप्लाई करने और हाई ग्रेड क्वालिटी स्टैंडर्ड को मेंटेन करने के लिए इसरो ने इस कंपनी को एक बधाई पत्र भी भेजा था. इसरो के यूए सुब्रमण्यम ने इस पत्र में लिखा, 'लॉन्च वाहन अनुप्रयोग के लिए लचीली नली बनाने के लिए तीन प्लाई लेमिनेट सामग्री की आवश्यकता होती है और यह सामग्री पिछले 10 वर्षों से जोधपुर की यह यूनिट सप्लाई कर रही है. इसरो ने इस 3 प्लाई लेमिनेट सामग्री से दोनों तरफ हीट सीलिंग करके एक नली बनाई है. इस नली का प्रयोग प्रक्षेपण वाहनों के लिए उपग्रह को स्वच्छ और ठंडी हवा की आपूर्ति के लिए किया जाता है.' इस पर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीपाल लोढ़ा ने कहा, 'इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का हिस्सा होना बड़े सौभाग्य की बात है. अगले 10 वर्ष तक इसरो के आगामी प्रोजेक्ट में भी यह कंपनी अपनी सेवाएं देगी.' इस कंपनी ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-3 के साथ मंगलयान के लिए भी लेमिनेट मेटेरियल को भेजा था. खास बात यह है कि इस प्रोडक्ट को कंपनी ने इसरो को निशुल्क भेजा है.

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