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कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के ठिकानों पर क्यों हुई ED की रेड, 2850 करोड़ का है मामला; जानें सब कुछ

प्रताप सिंह खाचरियावास के करीब 19 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी हुई. यह छापेमारी करीब 12 घंटे चली, जिसमें ईडी ने खाचरियावास से गहन पूछताछ भी की.

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के ठिकानों पर क्यों हुई ED की रेड, 2850 करोड़ का है मामला; जानें सब कुछ

Pratap Singh Khachariyavas: कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के करीब 19 ठिकानों पर मंगलवार (15 अप्रैल) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी हुई. यह छापेमारी करीब 12 घंटे चली, जिसमें ईडी ने खाचरियावास से गहन पूछताछ भी की. वहीं ईडी की कार्रवाई के दौरान कांग्रेस नेता से समर्थक उनके आवास पर जुट गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. हालांकि इस बीच ईडी की कार्रवाई लगातार जारी रही. खाचरियावास ने भी मीडिया से बीजेपी सरकार पर परेशान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा मैं सरकार के खिलाफ बोल रहा हूं इस वजह से ईडी की रेड करवाई जा रही है. ईडी की रेड होगी यह मुझे पहले से ही पता था.

बता दें कि ईडी ने मंगलवार को जयपुर में पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की. जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है. प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है.

कौन से घोटाले का है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि PACL की संपत्तियों को नीलाम करके 6 महीने में लोगों को ब्याज समेत भुगतान करें. SEBI के आकलन के अनुसार, PACL की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है.

पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई. इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई. 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49100 करोड़ का निवेश किया था.

खाचरियावास की 30 करोड़ की भागीदारी

इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया. मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है. ईडी ने मंगलवार को देर शाम अपनी जांच खत्म की है. अब इस मामले में ईडी के खुलासे का इंतजार है.

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