Rajasthan News: टोंक विधानसभा सीट, जिस पर 2023 के चुनावों में पूरे देश की नजर होगी. यह वह सीट है जो पिछले लगभग 43 सालों से राजस्थान में सत्ता के साथ चली है, और इस सीट से आजादी के बाद से कभी कोई कांग्रेसी विधायक ने लगातार दूसरे चुनाव में जीत हासिल नहीं की है. ऐसे में क्या सचिन पायलट (Sachin Pilot) इस रिवाज को बदल पाएंगे?
पायलट ने राजस्थान में सबसे पहले खुद के लिए जनता के बीच जाकर वोट मांगने के साथ ही ऐलान भी कर दिया है कि वह टोंक विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगे. टोंक सीट अल्पसंख्यक, गुर्जर और एससी मतदाता बाहुल्य सीट है, जहां से सचिन पायलट ने पिछला चुनाव 54 हजार 861 वोटों से जीता था, जो इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत है.
जनता ने दिए दिल खोलकर वोट
सचिन पायलट जब 2018 में टोक चुनाव लड़ने आए, उससे पहले इस सीट को कांग्रेस के खाते में अल्पसंख्यक सीट माना जाता था और 1972 से लेकर 2018 तक के 10 चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी किसी मुस्लिम लीडर को बनाया था. 2018 में इस सीट को सुरक्षित सीट मानकर सचिन पायलट चुनाव मैदान में उतरे और टोंक की जनता ने उन्हें दिल खोलकर वोट दिए.
सीएम से विवाद, जनता ने झेला नुकसान
सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विवाद का सबसे ज्यादा नुकसान भी टोंक की जनता ने ही उठाया है. पायलट के हाथ से उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गई तो मानो टोंक की जनता के विकास के सपनों को भी ग्रहण लग गया. 54 हजार 861 वोटों से जितने वाले पायलट इस नवाबी धरती पर विकास के मिल का पत्थर न लगा सके और सिर्फ सड़कों, भवनों, आदि के लोकार्पण-शिलान्यास में सिमट कर रह गए.
पायलट को लेकर जनता के मन में सवाल
एक बार फिर से 2023 के चुनावों में सचिन पायलट अपनी जनता से 2018 से बड़ी जीत के लिए वोट मांग रहे हैं. गांव-गांव ही नहीं, गली-गली जाकर लोगों से मिल रहे हैं, लोगों के साथ सेल्फी खिंचा रहे हैं, जनता के साथ जाजम पर बैठकर खाना खा रहे हैं, केंद्र और राज्य सरकार के विकास कार्यों का लोकार्पण कर रहे हैं, निरीक्षण कर रहे हैं.
राजस्थान की टोंक विधानसभा
वर्तमान विधायक- सचिन पायलट ,कांग्रेस. टोंक विधानसभा से वर्तमान में सचिन पायलट विधायक हैं. मुस्लिम, गुर्जर, माली और एससी मतदाता बाहुल्य इस सीट का इतिहास पिछले कई सालों से यही रहा है कि जिस दल का विधायक इस सीट से चुना जाता है. राजस्थान में उसी दल की सरकार बनती है.
टोंक में कुल मतदाता
लगभग 2 लाख 51 हजार 878
जातिगत मतदाता
मुस्लिम - लगभग 62 हजार से 63 हजार के बीच
अनुसूचित जाति - बैरवा,रेगर,खटीक,कोली ,हरिजन वह अन्य जातीया - लगभग 45 हजार से 48 हजार के बीच
गुर्जर - लगभग 35 हजार से 36 हजार के बीच
माली - लगभग 17 हजार से 19 हजार के बीच
ब्राह्मण - लगभग 15 हजार से 16 हजार के बीच
जाट - लगभग 1 हजार से 14 हजार के बीच
वैश्य-महाजन - लगभग 11 हजार
राजपूत - लगभग 6 हजार
अन्य जातियां - लगभग 32 हजार वोट
एसटी - लगभग 12 हजार से 13 हजार के बीच
संभावित जितने वाले उम्मीदवार
सचिन पायलट की स्थिति
कांग्रेस के नेता सचिन पायलट 2018 में इस सीट से चुनाव जीते थे और उन्हें भाजपा के यूनुस खान को 54 हजार वोटों से हराया था. यदि वह इस बार भी चुनाव लड़ते हैं, तो उनकी जीत निश्चित है, लेकिन जीत का अंतर कम हो सकता है. इसका कारण टोंक नगर परिषद और पंचायत समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार और पायलट समर्थकों द्वारा टोंक की जनता के हितों में कार्य नहीं करना है.
सऊद सईदी की स्थिति
सऊद सईदी सचिन पायलट के समर्थक हैं और वह 2013 में टोंक सीट से बागी होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं. यदि पायलट इस बार टोंक से चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो सईदी कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार हैं. हालांकि, उनकी जीत की संभावना कम है क्योंकि टोंक एक संवेदनशील सीट है.
मोइनुद्दीन निजाम की स्थिति
मोइनुद्दीन निजाम टोंक सीट पर कांग्रेस के दावेदार हैं. वह जिले के बड़े बीड़ी व्यवसायी हैं और उनके बड़े भाई अजमल दो बार नगर परिषद के सभापति रहे हैं. यदि पार्टी उन्हें टिकट देती है, तो वह एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं जो किसी भी भाजपा के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं.
टोंक सीट पर भाजपा के संभावित उम्मीदवार
अजित सिंह मेहता
2013 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे और 2018 में भी पार्टी ने उन्हें टोंक सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. 2018 में सचिन पायलट के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें यूनुस खान के स्थान पर उतारा गया था. मेहता आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े नेता हैं और भाजपा के दमदार उम्मीदवार हैं. हालांकि, सचिन पायलट के मुकाबले उनकी जीत की संभावना कम है.
लक्ष्मी जैन
टोंक नगर परिषद की पूर्व सभापति हैं. सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया का समर्थन प्राप्त है. नगर परिषद सभापति रहते हुए उनके समय के विकास कार्यों का लोग जिक्र करते हैं, तो वहीं उनके समय नगर परिषद के हुए घोटालों और भ्रष्टाचार का भी जिक्र होता है. सफाई कर्मचारियों की भर्ती में मिलीभगत के मामले में एसीबी में मामला दर्ज हुआ था. यदि उन्हें भाजपा का टिकट मिलता है, तो वे एक औसत उम्मीदवार होंगी, क्योंकि जातिगत समीकरण उनके पक्ष में नहीं दिखते हैं.
अन्य दलों के उम्मीदवार
असदुद्दीन ओवैसी की AIAIM टोंक सीट पर चुनाव लड़ेगी, यह निश्चित है. अन्य दलों के उम्मीदवारों के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है.