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नसबंदी के बाद भी गर्भवती हुई महिला, फिर किया कुछ ऐसा कि स्वास्थ्य विभाग को देना होगा 50 हजार रुपए

राजस्थान के झालावाड़ जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला नसबंदी के बाद गर्भवती हो गई. जिसके बाद उस महिला ने कुछ ऐसा कि स्वास्थ्य विभाग को अब 50 हजार रुपए देने होंगे.

नसबंदी के बाद भी गर्भवती हुई महिला, फिर किया कुछ ऐसा कि स्वास्थ्य विभाग को देना होगा 50 हजार रुपए
प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jhalawar News: राजस्थान से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला नसबंदी के बाद भी गर्भवती हो गई. फिर महिला ने कुछ ऐसा किया कि स्वास्थ्य विभाग को 30 हजार रुपए जुर्माना देना पड़ेगा. हैरान करने वाला यह मामला राजस्थान के झालावाड़ जिले से सामने आया है. जहां मनोहर थाना कस्बे के मोगियाबेह निवासी धापू बाई नसबंदी के बाद गर्भवती हो गई. जिसके बाद इस महिला ने उपभोक्ता फोरम में मामले की शिकायत की. जहां से सुनवाई के बाद झालावाड़ उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग ने स्वास्थ्य विभाग को दोषी मानते हुए 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. 

ब्याज के साथ भुगतान का निर्देश

दरअसल धापू बाई की शिकायत पर सुनवाई के दौरान उपभोक्ता फोरम ने उनकी इलाज में स्वास्थ्य विभाग को लापरवाही का दोषी माना है. आयोग ने 30 हजार रुपए का जुर्माना राशि 45 दिन के भीतर देने के आदेश जारी किए हैं. आयोग के अध्यक्ष ईश्वरी लाल वर्मा एवं सदस्य वीरेंद्र सिंह रावत और शीला मीणा ने फैसला सुनाते हुए जुर्माना राशि पर 9 फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने के आदेश भी जारी किए हैं.

नसबंदी शिविर में करवाया था ऑपरेशन

उपभोक्ता आयोग के सदस्य वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि मनोहर थाना कस्बे की मोग्याबेह निवासी धापू बाई ने 6 जनवरी 2020 को जावर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लगे नसबंदी शिविर में नसबंदी ऑपरेशन करवाया था.  इसके 1 वर्ष बाद निजी अस्पताल में उसने जांच कराई तो उसके पेट में 3 सप्ताह का गर्भ पाया गया। पीड़िता ने 9 महीने के बाद बालिका को जन्म भी दिया.

स्वास्थ्य विभाग को देना होगा 50 हजार

उन्होंने बताया कि पीड़िता की ओर से स्वास्थ्य विभाग को कार्य में लापरवाही को लेकर नोटिस भेजे गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.  इसके बाद उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग में परिवाद दिया गया. आयोग ने मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग को इलाज में लापरवाही का दोषी माना है. आयोग ने स्वास्थ्य विभाग को पीड़ित पक्ष को 30 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग को पीड़िता को मानसिक संताप व परिवाद के दौरान खर्च की गई 20 हजार रुपए की राशि भी देनी होगी.

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