
Asia's largest underground library in Jaisalmer: एशिया की सबसे बड़ी अंडरग्राउंड लाइब्रेरी जैसलमेर में हैं. जमीन से 16 फीट नीचे इस लाइब्रेरी में 9 लाख से ज्यादा किताबें हैं. यह लाइब्रेरी भादरिया गांव के भादरिया माता मंदिर में है. जहां धर्म, विज्ञान, इतिहास, और भाषणों का संग्रह समेत कई किताबें हैं. आज विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) पर हम आपको बता रहे हैं इस पुस्तकालय के बारे में, जिसकी नींव साल 1983 में रखी गई थी, हालांकि इसे पूरा होने में 15 साल का समय लग गया. इस लाइब्रेरी में 18 अध्ययन कक्ष और भोजनशाला है.
यूरोप तक यात्रा कर भादरिया महाराज ने जुटाई थी किताबें
इस लाइब्रेरी की नींव 1960 में हरवंश सिंह निर्मल (भादरिया महाराज) ने रखी और 1998 में इसे पूरा किया. साल 1960 में भादरिया महाराज (हरवंश सिंह निर्मल) भादरिया माता मंदिर पहुंचे थे. 1983 में उन्होंने इस लाइब्रेरी की नींव रखी. 15 साल की मेहनत के बाद 1998 में यह बनकर तैयार हुई. पुस्तक संग्रह भी उसी दौरान शुरू हुआ और भादरिया महाराज ने यूरोप तक यात्रा कर किताबें जुटाईं.
562 अलमारियां और 16 हजार फीट लंबे रैक्स
लाइब्रेरी को दो हिस्सों में बांटा गया था. यहां 22 हजार 200 वर्गफीट का स्टडी रूम है, जबकि संग्रह भवन 15 हजार वर्गफीट में फैला हुआ है. इसमें इसमें 562 अलमारियां और 16,000 फीट लंबे रैक्स हैं. साथ ही अध्ययन कक्ष और भोजनशाला भी है.
हर साल आते हैं 70 हजार से ज्यादा लोग
भादरिया महाराज का सपना था कि स्थानीय लोगों को किताबों के लिए कहीं और न जाना पड़े. उनके द्वारा बनाई गई यह लाइब्रेरी वाकई शोधार्थियों और छात्रों के लिए ज्ञान का खजाना साबित हो रही है. यहां हर साल 70 हजार से ज्यादा लोग अध्ययन और भ्रमण के लिए आते हैं.
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