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This Article is From Jul 23, 2023

जनजाति-बहुल बांसवाड़ा की कमान संभाल रहे हैं कलेक्‍टर प्रकाश चंद्र शर्मा

अपने करियर की अच्‍छी बातों को याद करते हुए उन्‍होंने कहा कि अधिकतम समय जयपुर में ही निकला, लेकिन जनजाति बाहुल्‍य जिले बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में पदस्थापन के बाद लोगों का सहयोग करने से जो खुशी मिलती है, उसका कोई मोल नहीं है.

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जनजाति-बहुल बांसवाड़ा की कमान संभाल रहे हैं कलेक्‍टर प्रकाश चंद्र शर्मा
प्रकाश चंद्र शर्मा ने बांसवाड़ा को लेकर कहा कि यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं.
बांसवाड़ा:

राजस्‍थान के जनजाति बाहुल्‍य जिले बांसवाड़ा में आईएएस अधिकारी प्रकाश चंद्र शर्मा ने करीब एक वर्ष पूर्व जिला कलेक्‍टर के रूप में पदभार संभाला. शर्मा 1992 बैच के अधिकारी हैं. शर्मा ने कहा कि जिला कलेक्‍टर के तौर पर इससे पूर्व प्रतापगढ़ में जो कार्य किया, उसका लाभ बांसवाड़ा में भी मिल रहा है.

प्रकाश चंद्र शर्मा का जन्‍म 5 जुलाई 1965 को हुआ. शर्मा मूल रूप से जयपुर जिले के निवासी हैं और उनकी शिक्षा भी जयपुर में ही हुई है. उन्‍होंने एम कॉम और आईसीडब्‍ल्‍यूए तक शिक्षा ग्रहण की है. वहीं 1988 में उनका राजस्‍थान प्रशासनिक अधिकारी के रूप में चयन हुआ. 

एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में प्रकाश चंद्र शर्मा ने कहा कि जिले के सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत समस्याओं की शिकायत आती हैं.  जनजाति जिला होने और शिक्षा का अधिक प्रसार नहीं होने के कारण इसमें लोगों को परेशानी होती है, लेकिन सभी अधिकारियों को इस बात के लिए पाबंद किया है कि आम लोगों की समस्याओं का त्वरित गति से समाधान हो. 

लोगों की परेशानी दूर करने के सवाल पर जिला कलेक्‍टर ने कहा कि समस्‍या समाधान और राज्य सरकार की योजनाओं को व्यापक रूप से प्रचार प्रसार करने के लिए ग्रामीण स्तर पर अधिकारियों को विभिन्न सोशल मीडिया माध्यम से लोगों को जोड़कर उनको जानकारी देने का नवाचार किया, जिसके तहत अब तक करीब डेढ़ लाख लोगों को जोड़ा जा चुका है. 

परिवार के साथ समय व्‍यतीत करना पसंद 
जब उनसे पूछा गया कि छुट्टियों में क्‍या करते हैं तो उन्‍होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी होने के कारण कई बार शनिवार और रविवार को भी अवकाश नहीं मिलता, लेकिन जब कभी सामाजिक और पारिवारिक कारण से अवकाश मिलता है तो अधिक से अधिक समय परिवार के साथ ही व्यतीत करना पसंद करता हूं

'सहयोग करने से मिलने वाली खुशी का मोल नहीं'
अपने करियर की अच्‍छी बातों को याद करते हुए उन्‍होंने कहा कि अधिकतम समय जयपुर में ही निकला, लेकिन जनजाति बाहुल्‍य जिले बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में पदस्थापन के बाद लोगों का सहयोग करने से जो खुशी मिलती है, उसका कोई मोल नहीं है. उन्‍होंने कहा कि यहां के लोग बहुत सीधे सादे होने के साथ ही बेहद ईमानदार भी हैं और उन्‍हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जरूरत अन्य जिलों के लोगों से अधिक है. इसलिए कोशिश रहती है कि सरकार की योजनाओं का लाभ अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचा पाऊं. 

जिले को लेकर ये हैं योजनाएं 
जनजाति बाहुल्‍य क्षेत्र होने से यहां विकास की असीम संभावनाएं हैं. जरूरत है तो बस सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को सही रूप से लागू करने की. इसलिए सदैव कोशिश रहती है कि किसी भी तरीके से सरकारी योजना से वंचित परिवार या व्यक्ति को उसके हक का लाभ प्राप्त हो सके. विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जिससे कि इस क्षेत्र का विकास और तेजी से हो सके. 
 

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