
IAS Rukmani Riar Story: सफलता की कहानी लिखना आसान नहीं है, इसके लिए आपको कई बार टूटना पड़ता है, खुद को मेहनत की आग में झोंकने के लिए हमेशा तैयार रखना पड़ता है, जिसके बाद ही आपको अर्जुन की तरह लक्ष्य भेदने का मौका मिलता है. इस बात को सच साबित कर दिखाया राजस्थान की आईएएस अधिकारी रुक्मिणी रियार ने.
छठी क्लास में हो गई थीं फेल
आईएएस रुक्मिणी रियार भले ही छठी क्लास में फेल हो गई थीं, लेकिन उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया. इसके बाद उन्होंने राजस्थान समेत देश के युवाओं के लिए मिसाल कायम की, अगर कोई स्कूल में फेल हो जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह व्यक्ति जीवन में भी फेल हो गया है. व्यक्ति को हमेशा अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए.
बचपन से था प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना
रुक्मिणी रियार के पिता बलजिंदर सिंह रियार होशियारपुर के रिटायर्ड डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हैं। उनकी मां गृहिणी हैं। रुक्मिणी अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थीं. यहां तक कि वह छठी कक्षा में फेल भी हो गई थीं. उस असफलता के बाद वह निराश नहीं हुईं. लेकिन इसके बाद वह काफी तनाव में रहने लगीं. क्योंकि उन्हें बचपन से ही अपना लक्ष्य पता था. इसलिए जल्द ही उन्होंने इससे मुक्ति पा ली और उसी समय तय कर लिया कि वह किसी भी कीमत पर इस असफलता को सफलता में बदलेंगी. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई में खूब मेहनत की. जिसके बाद उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई अच्छे से पूरी की.
NGO में काम करने के दौरान UPSC देने का किया फैसला
रुक्मिणी रियार ने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से सामाजिक विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट, मुंबई से सामाजिक विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) मुंबई से मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, रुक्मिणी ने मैसूर के आशोधा और मुंबई के अन्नपूर्णा महिला मंडल जैसे गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के साथ इंटर्नशिप की. NGO में काम करने के दौरान, उनकी सिविल सेवाओं में गहरी रुचि पैदा हुई और उन्होंने UPSC परीक्षा देने का फैसला किया.
2011 में पहले ही प्रयास में क्रेक किया UPSC
इसके बाद 2011 में रुक्मिणी ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर लिया और AIR 2 हासिल की. उन्होंने बिना किसी कोचिंग क्लास की मदद लिए सेल्फ स्टडी के दम पर अपना सफ़र पूरा किया. उन्होंने बताया कि उनकी तैयारी में कक्षा 6 से 12 तक की NCERT की किताबों को अच्छी तरह से पढ़ना और नियमित रूप से समाचार पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ना शामिल था. फिलहाल वर्तमान में वे जयपुर ग्रेटर के कमिश्नर और राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की कलेक्टर हैं. उनके पति सिद्धार्थ सिहाग उदयपुर नगर निगम में आयुक्त रहे हैं.
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