मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट (Budget 2024-25) 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. बजट को लेकर किसान, मजदूर, व्यापारी, मध्यम वर्ग, विद्यार्थी बेरोजगार, महिला समेत सभी वर्ग के लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आखिरी बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी. एनडीटीवी राजस्थान की टीम ने ग्रामीण अंचल में किसानों से रूबरू होकर मन को टटोला है. पालनहार किसान मोदी सरकार के आखिरी बजट से भारी उम्मीद लगाए बैठा है. डीएपी खाद यूरिया और कीटनाशक दवाओं के साथ डीजल की कीमतों में भारी इजाफा हो रहा है. महंगाई की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है. खाद बीज से लेकर खेती किसानी के उपकरण भी महंगे हो चुके हैं.
बजट को लेकर किसानों को बड़ी उम्मीद है. किसानों का कहना है कि, खेती किसानी हर सीजन में किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. महंगाई इतनी हो चुकी है की खेती के उपकरण भारी महंगे हैं. फसल की बुवाई करने के लिए किसानों को डीएपी एवं खाद्य यूरिया की किल्लत से सामना करना पड़ता है. किसानों को समय पर खाद्य यूरिया उपलब्ध नहीं होता है.
खाद यूरिया और डीएपी की कालाबाजारी
खेती के सीजन की शुरुआत होते ही खाद यूरिया एवं डीएपी की कालाबाजारी भी शुरू हो जाती है. कड़ी मेहनत कर किसान फसल को बुवाई से लेकर पकाव की स्थिति तक पहुंचता है. इसके बीच कभी ओलावृष्टि,अति दृष्टि तो कभी मौसम की मार फसल को चौपट कर देती है. लागत के मुताबिक किसानों को उत्पादन नहीं मिल पाता है. फसल की सिंचाई करने के लिए किसानों का पसीना छूट जाता है. डीजल की कीमतों में भारी इजाफा होने की वजह इंजन और पंप सेट में ही खेती के उत्पादन को खा जाते है.
किसान सम्मान निधि बढ़ाने की कर रहे मांग
किसानों ने बताया मोदी सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि महज ₹6000 सालाना दी जा रही है. अमुकु राशि खेती किसानी के लिए नाकाफी है. किसानों ने मांग करते हुए कहा कि किसान सम्मन निधि को आगामी बजट में 50 हजार से अधिक बढ़ाना चाहिए. केंद्र सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि को ₹2000 तीन टुकड़ों में दिया जाता है.
जबकि रबी और खरीफ की दो फसलों का सीजन 1 साल में रहता है. इसके अलावा सब्जी की फसलें किसानों द्वारा हर महीने की जाती है. किसानों का कहना है कि मोदी सरकार आगामी बजट में किसान सम्मान निधि को बढ़ाए एवं खेती के उपकरण जिसमें ट्रैक्टर ट्रॉली, थ्रेसर मशीन,हल,बुबाई मशीन आदि में भी सब्सिडी दी जाए.
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