
UPI: डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत की सारी दुनिया में एक अलग पहचान बन चुकी है. लेकिन, इसके साथ एक बड़ी चुनौती धोखाधड़ी पर नियंत्रण करना है. साइबर फ्रॉड पर रोक लगाने की मुहिम के तहत सरकार की ओर से लगातार नए क़दम उठाए जा रहे हैं. भारत में UPI से रिटेल लेन-देन के सिस्टम को ऑपरेट करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) समय-समय पर नियमों में परिवर्तन करता रहता है. हाल ही में ऐसी ख़बरें आईं कि NPCI कुछ बड़े बदलाव करने जा रहा है. इनमें बताया गया कि 'पुल ट्रांजैक्शन (Pull Transactions) पर रोक लगाने के लिए बैंकों से बातचीत की जा रही है क्योंकि ज्यादातर डिजिटल फ्रॉड इसी से होते हैं. इसके साथ ही मोबाइल नंबरों को लेकर भी एक बड़ा बदलाव होने की ख़बर है.
1 अप्रैल से होने जा रहा है बदलाव
अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2025 से UPI से लिंक ऐसे मोबाइल फ़ोन नंबरों को अकाउंट से हटा दिया जाएगा जो इनैक्टिव या डीऐक्टिवेटेड हैं. ये ऐसे नंबर होते हैं जो लंबे समय से इस्तेमाल नहीं किए जाते.
साथ ही, रीसाइकिल्ड नंबरों को भी यूपीआई से अनलिंक करने का निर्देश दिया गया है. ये वो नंबर होते हैं जिन्हें डिसकनेक्ट होने के 90 दिन बाद मोबाइल फ़ोन कंपनियां किसी अन्य ग्राहक को दे सकती हैं.
आम तौर पर, यदि किसी नंबर से तीन महीने तक कोई कॉल या टेक्स्ट नहीं किया जाता या डेटा का इस्तेमाल नहीं होता, तो उसे टेलिकॉम कंपनी डीऐक्टिवेट कर देती है.

नहीं काम करेंगे UPI ऐप
इन नंबरों को यूपीआई से डीलिंक होने के बाद मोबाइल फोन पर UPI, गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे ऐप काम करना बंद कर देंगे. NPCI ने सभी UPI सेवा दाताओं और बैंकों से 31 मार्च 2025 तक इनऐक्टिव मोबाइल नंबरों की पहचान कर उन्हें हटाने का निर्देश दिया है.
ऐसे में यदि किसी व्यक्ति ने अपने बैंक अकाउंट या यूपीआई से ऐसा फ़ोन नंबर लिंक किया है जो काफी समय से ऐक्टिव नहीं है, तो उन्हें यूपीआई सुविधा का इस्तेमाल जारी रखने के लिए या तो उस नंबर को ऐक्टिव कर लेना चाहिए या किसी नए नंबर को खाते से लिंक कर देना चाहिए.
UPI लेन देन की संख्या में तेज़ी
भारत में फरवरी में यूपीआई लेन देन की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस वर्ष फ़रवरी में इनकी संख्या 16 अरब को पार कर गई थी. वर्ष 2024 में यूपीआई लेनदेन की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले 46 प्रतिशत बढ़कर 172.2 अरब हो गई.
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