Rajasthan News: राजस्थान के कोटा जिले में पुलिस के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है. पुलिस ने करीब 15 साल पहले रेलवे में वीआईपी कोटे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी को मुजफ्फरपुर बिहार से गिरफ्तार कर लिया है. यह आरोपी पिछले 15 साल से फरार चल रहा था. साथ ही पुलिस ने आरोपी के ऊपर 5 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया हुआ था. आरोपी युवक का नाम सच्चिदानंद उर्फ गुरु जी है, जिसकी 78 साल उम्र हो चुकी है.
एक पीड़ित से लिए 3 लाख रुपये
जानकारी के अनुसार, साल 2009 में जिले के रेलवे कॉलोनी थाना में अवतार सिंह, दिलीप सिंह और देवी शरण शर्मा ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. जिसमें उन्होंने बताया कि उनके और साथियों के साथ रेलवे में टच सहित अन्य पदों पर VIP कोटे में नौकरी लगवाने के नाम पर 3-3 लाख रुपए की ठगी हुई है. जिसके बाद मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कोटा निवासी मुन्नीलाल वर्मा और विश्वेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था.
लेकिन इस गेम का मास्टरमाइंड बिहार निवासी सच्चिदानंद उर्फ गुरु जी पिछले 15 सालों से फरार चल रहा है. एडिशनल एसपी दिलीप सैनी ने बताया कि कोटा पुलिस की ओर से फरार आरोपियों की धरपकड़ की जा रही हैं. जिसके लिए पुलिस की विशेष टीम लगातार कई दिनों से आरोपी की तलाश कर रही थी. जिसमें आरोपी सच्चिदानंद शर्मा पकड़ा गया जिससे अब पूछताछ की जा रही है.
रेलवे की फर्जी लिस्ट में बताया नाम
कोटा एसपी अमृता दुहन ने बताया कि पुलिस ने 15 साल से फरार चल रहे आरोपी को पकड़ लिया है. वहीं अब इस मामले में युवाओं का भरोसा जीतने के लिए अपनाये गए नये-नये हथकंडे भी सामने आए हैं. जिसमें पता चला है कि जिन लोगों को आरोपी ने शिकार बनाया था उनको उस समय उसने पूरा भरोसा दिलाते हुए दिल्ली भी बुलाया गया और उनका मेडिकल टेस्ट भी करवाया गया.
साथ ही ठगी का शिकार हुए युवकों ने अपने क्षेत्र के संबंधित थाने से चरित्र प्रमाण पत्र भी तैयार करवाए और ठग को दिए. जिसके बाद ठग ने कहा कि जल्द ही रेलवे बोर्ड की भर्ती लिस्ट जारी हो रही है. रेलवे बोर्ड की लिस्ट को ऑनलाइन भी देखा जा सकता है. आप सभी के नाम उसमें नजर आएंगे. इसके बाद आरोपी ने एक फर्जी लिस्ट का प्रिंट आउट निकलवाया और उसे पर ठगी का शिकार हुए युवकों को बताया जिसमें उन सब का नाम था.
15 साल से दे रहा पुलिस को चकमा
एसपी ने आगे बताया कि मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ समय तक भर्ती और नौकरी को लेकर कोई दस्तावेज रेलवे बोर्ड से पीड़ितों के घर नहीं आया. इसके बाद उन्होंने गैंग में शामिल स्थानीय लोगों से संपर्क किया तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए और सच्चिदानंद शर्मा को पूरा पैसा देना बताया और फरार हो गए. लेकिन पुलिस ने कोटा के रहने मुन्नीलाल वर्मा और विश्वेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया पूछताछ के बाद मुख्य सरगने की तलाश शुरू हुई लेकिन यह 15 साल तक पुलिस को चकमा देता रहा था.
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